आपने आज तक कई अमीर लोगों को गरीब या सड़क पर रहने वालों की मदद करते देखा होगा। ऐसा ही एक DSP ने किया जब उसने सड़क पर ठण्ड से कांपते हे एक भिखारी को देखा। उसने अपनी गाड़ी रोक ली और उसकी मदद करने की सोची। लेकिन जैसे ही वह अपनी गाड़ी से उतर कर भिखारी की मदद करने के लिए पहुंचा तो देखा कि वह उन्ही के बैच का ऑफिसर है।

कुछ समय पहले ग्वालियर में उपचुनाव की मतगणना की जा रही थी। तभी डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिंह भदौरिया झांसी रोड से गुजर रहे थे। उन्हें वही एक शख्स ठंड में कपकपाता हुआ दिखाई दिया। जब वह उस भिखारी के नज़दीक पहुंचे तो मामला कुछ और ही निकला। इसके बाद तुरंत दोनों ने मिलकर उस व्यक्ति की मदद की और अपने जूते व जैकेट उतार कर उसे पहनने को दे दी।

यह शख्स एक समय में पुलिस अफसर रह चुका है। इस शख्स का नाम मनीष मिश्रा था जोकि पिछले 10 सालों से सड़कों पर ऐसे ही घूम रहा था। यह व्यक्ति डीएसपी के 1999 बैच का एक पुलिस अधिकारी था जोकि एक समय में निशानची भी था।

मनीष मिश्रा ने आखिरी बार साल 2005 में नौकरी की थी। वह दतिया में काम कर रहा था। लेकिन काम करने के दौरान धीरे-धीरे उनकी मानसिक स्तिथि में बिगड़ाव आता चला गया। उनके परिवार वालों ने अस्पताल में उनका इलाज भी करवाया लेकिन वह वहां से भाग निकला और ऐसे ही सड़कों पर अपना जीवन गुजार रहा है।

रत्नेश को मनीष मिश्रा ने बताया कि उनकी हालत खराब होने के बाद उनकी पत्नी ने भी घर छोड़ दिया था और उनसे तलाक ले लिया था। वह तनाव में आकर और बीमार हो गए और सड़कों पर भीख मांग कर जीने लग गए। मनीष को दोनों अधिकारीयों ने मिल कर एक समाजसेवी संस्था में भेज दिया है जहाँ पर उनकी अच्छे से देखभाल भी की जा रही है।

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