इंटरनेट डेस्क। रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन का त्यौहार है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। इस त्यौहार को मनाए जाने को लेकर भारतीय समाज में कई मान्यताएं प्रचलित है। आज हम आपको रक्षा बंधन मनाने के कुछ ऐसे कारण बताने जा रहे है जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे -

रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की शुरुआत उस समय से मानी जाती है जब इन्द्राणी ने अपने पति इंद्र की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर धागा बांधा था जब वे राक्षसों के साथ युद्ध करने के लिए जा रहे थे।

इसी ही तरह की एक अन्य मान्यता के अनुसार राक्षसों ने युद्ध जीतकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। भगवान इंद्र इस बार से खुश नहीं थे और उन्होंने इसकी शिकायत देवताओं के गुरु बृहस्पति से की। बृहस्पति ने एक रक्षा सूत्र तैयार किया और इसे सुरक्षा के लिए देवराज इंद्र को पहनने के लिए दिया।

रक्षा का यह वचन महाभारत में भी देखने को मिलता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी जिस से लगातार खून बह रहा था। यह देखकर, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़ा और उसे भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। यही कारण है भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को कौरवों द्वारा चीरहरण से बचाया था।

भाई द्वारा रक्षा करने के वादे को पूरा करने की सबसे समर्पित कहानी हुमायूँ से जुड़ी हुई है जो कि अपनी सेना के साथ मेवाड़ आये थे जब रानी कर्णवती ने उनसे युधक्षेत्र में मदद मांगी थी। बहादुर शाह ने मेवाड़ पर दो बार हमला किया था और रानी कर्णवती ने बड़ी उम्मीद के साथ हुमायूं को मदद के लिए राखी के साथ एक पत्र भेजा था। हुमायूँ उस समय के सैन्य अभियान के बीच में थे लेकिन पत्र मिलने के बाद सब कुछ बीच में छोड़कर ही रानी कर्णवती की रक्षा करने के लिए चले गए।

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