दोस्तों, आपको बता दें कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर महल में कछवाहा राजवंश की कुल देवी शिला माता का मंदिर है। यह मंदिर शिला माता के लक्खी मेले के लिए भी जाना जाता है। नवरात्र के दिनों में तो मां शक्ति के इस जागृत स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए देवी मां के सामने याचना करते हैं।

आमेर महल के राजप्रसाद में मौजूद शिला माता के इस मंदिर में गणेश जी और हिंगला माता की भी मूर्तियां प्रतिष्ठापित हैं। बता दें कि शिला माता के इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराज सवाई राजा मानसिंह द्वितीय द्वारा वर्ष 1906 में करवाया गया था। शिला माता के आशीर्वाद से ही मुगल शासक अकबर के प्रधान सेनापति राजा मानसिंह ने 80 से अधिक लड़ाईयों में विजय हासिल की।

मंदिर का मुख्य द्वार चांदी का बना हुआ है। इस पर नवदुर्गा शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री उत्कीर्ण हैं। द्वार के सामने चांदी का नगाड़ा रखा हुआ है। प्रवेश द्वार के पास दाईं ओर महालक्ष्मी एवं बाईं ओर महाकाली के चित्र उत्कीर्ण हैं।

दोस्तों, आपको बता दें शिला माता की पूजा-आराधना के लिए शुक्रवार के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। यहां मां को प्रसन्न करने के लिए चुनरी और सोलह श्रंगार की सामग्री अर्पित की जाती है। मान्यता है कि मंदिर में मां के दर्शन करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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