धार्मिक ग्रन्थों और पुराणों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस चराचर जगत को रोशनी प्रदान करने वाले एक मात्र सूर्य देवता ही हैं। साथ ही इस पृथ्वी पर जीवन की आस सूर्य से ही है। इसलिए अगर जीवन में किसी भी तरह की कोई भी परेशानी हो तो बस सच्चे मन से सूर्य को जल अर्पण करें हर परेशानी दूर हो जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान सूर्य को जल अर्पण करने का सही तरीका क्या है, तो चलिए आज जानते हैं।

मनुष्य की दाईं हाथ की उंगलियों में सबसे आगे वाले पौरों को देवतीर्थ कहा गया है। भगवान सूर्य को जल अर्पण करने के लिए उंगलियों के इसी भाग का उपयोग करना शुभ माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव को इस तरीके से जल अर्पण करने से दुर्भाग्य दूर होता है और जीवन सूर्य के समान कांतिमान रहता है।

दाएं यानि सीधे हाथ में पांच ऐसी जगह होती हैं जो बहुत ही खास हैं। इन्हीं तीर्थों से मनुष्य देवताओं, पितृ और ऋषियों को जल चढ़ाते हैं। जिस प्रकार देवताओं को जल चढ़ाने के लिए दाईं हथेली का अगला हिस्सा तय है। इस तरह जल अर्पण करने से हर समस्या का हल होता है।

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