इंडियन रेलवे के राजस्व का स्रोत केवल माल ढुलाई और माल ढुलाई है, बल्कि स्क्रैप बेचकर भारी कमाई भी होती है। बता दे की, भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में सितंबर तक स्क्रैप की बिक्री से 2,500 करोड़ रुपये की कमाई की है, जो कि सबसे अधिक है। कभी। इस अवधि के दौरान पिछले वित्तीय वर्ष 2003 के दौरान रु. इस वित्त वर्ष सितंबर तक कबाड़ की बिक्री से कुल 2,582 करोड़ रुपये की कमाई हुई है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में इसी अवधि की तुलना में 28.91 प्रतिशत अधिक है।

क्या है रेलवे का कबाड़ बेचकर कमाई का टारगेट

बता दे की, यदि इस वित्त वर्ष में रेलवे स्क्रैप के राजस्व लक्ष्य की बात करें तो इसमें 4400 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यानी अब बचे हुए महीनों में सिर्फ रु. 1,818 करोड़ का लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है। बता दें कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान रेलवे ने 4100 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था.

1421 कोच और 97 लोकोमोटिव बेचे गए

2022-23 में 1751 वैगन, 1421 कोच और 97 लोकोमोटिव का निपटान किया गया। चालू वित्त वर्ष में 3,93,421 मीट्रिक टन लौह कबाड़ की बिक्री हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सितंबर 2021 तक 1835 वैगन, 954 कोच और 77 लोकोमोटिव का निस्तारण किया गया, जिसमें 3,60,732 मीट्रिक टन लौह स्क्रैप था।

इस पैसे का उपयोग कहां किया जाता है?

आपकी जानकारी के लिए बता दे की, भारतीय रेलवे ई-नीलामी के जरिए कबाड़ बेचता है। इससे रेलवे को एक महत्वपूर्ण राशि मिलती है, जिसका उपयोग रेलवे के विकास के लिए किया जाता है। इसका निपटान रेलवे कोडल प्रावधान के अनुसार किया जाता है।

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