हमारे यहां पूजा - पाठ , धर्म - ग्रंथ व्रत - त्यौहारों में आस्था का सैलाब आसानी देखने को मिल जाता है। यहां सैकड़ों की संख्या में मंदिर बने हुए है। हर एक मंदिर की विशेषता और कई रहस्य - चमत्कार उसमे छिपे हुए है। ये अपनी एक अलग ही पहचान लिए है। इसी कारण यहां हर साल करोड़ो की संख्या में पर्यटक घुमने आते है। अपनी एक अलग ही पहचान लिए बसा मेहंदीपुर के बालाजी का मंदिर काफी मशहूर मंदिर है। ये मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में बसा है। बाहर से आये पर्यटक इस मंदिर में पहली बार जाते ही वहां का नजारा देखकर दंग रह जाते है। जिन भक्तों के ऊपर बुरा साया , काली छायी और भुत प्रेत बाधा का साया रहता है उनसे मुक्ति पाने के लिए लोग इस मंदिर में आते है।


कहा जाता है कि बालाजी के दरबार में पहुंचते ही बुरी शक्ति जैसे भूत, प्रेत, पिशाच खुद ही डर से कांपने लगते है। यहां प्रेतात्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए उसे कठोर दंड दिया जाता है। इस उपचार को अगर आप देख लें तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे , क्योंकि यह इलाज पुलिस के थर्ड डिग्री से भी ज़्यदा खतरनाक होता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में स्थित बालाजी प्रतिमा में उनकी बायीं छाती पर एक छोटा सा छिद्र है। जिससे निरंतर जल बहता रहता है। मान्यता है कि यह बालाजी का पसीन है। मंदिर में तीन देवता विराजते है, एक तो स्वयं बालाजी, प्रेतराज और भैरों ये तीन देवता यहां विराजते है।


मंदिर की खासियत है कि यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। लोगों का कहना है कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगते है। वैसे तो हम हर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद प्रसाद को घर लेकर आ जाते है। लेकिन मेंहदीपुर बालाजी के इस मंदिर से प्रसाद को घर लाना मना है।
इसके साथ ही मंदिर से लौटते समय अपने साथ किसी भी तरह की खाने पीने की चीज़े साथ नहीं होनी चाहिए। माना जाता है कि खानें - पीने की चीज़ो के साथ ही वहां से बुरी आत्माएं साथ लग जाती है।

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