टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में पोस्ट-कोविडियल समस्याएं बनी रहती हैं: अध्ययन
कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद लोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। सबसे आम हैं मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़े में कमजोरी और थकान। अब एक अध्ययन में पाया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों को समस्या होती है। उन्हें अब कोविड के बाद की समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। इन लोगों में हृदय और अन्य अंगों को प्रभावित करने का जोखिम भी अधिक होता है।
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को मधुमेह और कोरोनरी हृदय रोग था, उनके ठीक होने में सबसे लंबा समय लगा। इन मरीजों में थकान की समस्या बनी रहती है। कोविड से उबरने के कई महीने बाद भी ऐसे लोग ठीक नहीं हुए हैं।
टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को दूसरों की तुलना में सबसे अधिक समस्या होती है। मौत का खतरा तब भी ज्यादा था जब ये मरीज कोविड से संक्रमित थे। उनमें से कुछ को गंभीर संक्रमण भी हो गया। ठीक होने के बाद भी इन मरीजों में कोविड सिंड्रोम का लंबा इतिहास रहा है।
108 मरीज हुए थे शामिल
फोर्टिस अस्पताल में मधुमेह एवं एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा कि अध्ययन में 108 मरीज शामिल थे। इनमें से 56 को टाइप 2 मधुमेह था, जबकि 52 को नहीं था। इन सभी रोगियों का बीएमआई, विटामिन का स्तर, हीमोग्लोबिन और टीएचएस का स्तर लगभग समान था, लेकिन मधुमेह के रोगियों में थकान काफी अधिक थी।
इसके अलावा इन लोगों में वजन कम होना, शुगर लेवल का बढ़ना, मानसिक तनाव और कई अन्य समस्याएं पाई गई हैं। इस शोध से पता चलता है कि टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोविड के बाद ज्यादा दिक्कत होती है। कई महीनों तक संक्रमित रहने के बाद भी ये लोग ठीक नहीं हो पाए.
शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने की जरूरत
डॉ। अनूप का कहना है कि जिन लोगों को कोरोना है और उन्हें डायबिटीज भी है, उन्हें अपना शुगर लेवल कंट्रोल में रखना चाहिए. डॉक्टर का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के एक साल बाद भी शुगर लेवल को बढ़ने नहीं देना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि लोग नियमित रूप से अपने शुगर की जांच करें। शुगर लेवल 180 से ऊपर जाने पर डॉक्टर से सलाह लें।