हिन्दू धर्म में पितृपुरुषों का विशेष महत्व है। पितृपक्ष में पितरों की कृपा पाने के लिए पूजा की जाती है। पितृपक्ष में पितरों के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इन दिनों पितरों के घर वायु के रूप में पृथ्वी पर अपने कुलों के घर आते हैं और श्राद्ध-तर्पण करते हैं। जिसके बाद वे अपने घर वापस चले जाते हैं। पितृ पक्ष या श्राद्ध लगभग 16 दिनों तक रहता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता है।

वर्ष 2022 में पितृ पक्ष शनिवार 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 को समाप्त होगा। शास्त्रों के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंड का भोग लगाया जाता है। पितृपक्ष में पितरों के श्राद्ध के दिन कौवे को भोजन कराने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि कौवे के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंचता है। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज कौवे के रूप में पृथ्वी पर आते हैं। इस बार श्राद्ध तिथि 17 सितंबर 2022 नहीं पड़ रही है।

पितृ पक्ष 2022 श्राद्ध तिथियां

10 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध (शुक्ल पूर्णिमा), प्रतिपदा श्राद्ध (कृष्ण प्रतिपदा)
11 सितंबर - अश्विन, कृष्णा द्वितीया
12 सितंबर - अश्विन, कृष्ण तृतीया
13 सितंबर - अश्विन, कृष्ण चतुर्थी
14 सितंबर - अश्विन, कृष्ण पंचमी
15 सितंबर - अश्विन, कृष्णा षष्टी
16 सितंबर - अश्विन, कृष्ण सप्तमी
18 सितंबर - अश्विन, कृष्ण अष्टमी
19 सितंबर - अश्विन, कृष्णा नवमी
20 सितंबर - अश्विन, कृष्ण दशमी
21 सितंबर - अश्विन, कृष्ण एकादशी
22 सितंबर - अश्विन, कृष्ण द्वादशी
23 सितंबर - अश्विन, कृष्ण त्रयोदशी
24 सितंबर - अश्विन, कृष्ण चतुर्दशी
25 सितंबर - अश्विन, कृष्ण अमावस्या

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