पितृपक्ष में शुभ कार्य करना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में नए कपड़े पहनना, नई चीजें खरीदना आदि नहीं करना चाहिए। हालांकि पितृ पक्ष के इन 15 दिनों में अष्टमी को शुभ माना जाता है। पितृपक्ष में पड़ने वाली अष्टमी पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है। इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है। एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन सोना खरीदने से उसमें आठ गुना वृद्धि होती है। शादी की खरीदारी के लिए यह दिन शुभ माना जाता है। इस दिन हाथी पर बैठी लक्ष्मी की पूजा करने से लाभ होता है।

पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों के लिए किए गए सभी अनुष्ठान दक्षिण की ओर मुख करके किए जाते हैं। तर्पण अनुष्ठान में पितरों को याद कर काले तिल का जल चढ़ाया जाता है। इस प्रकार अन्न और जल चढ़ाने से पितरों को शांति मिलती है। श्राद्ध कर्म के लिए दूध, चावल, चीनी और घी से भोजन बनाया जाता है। पंचबली के लिए कुश आसन पर बैठकर भोजन करना चाहिए। फिर पितरों का स्मरण करें और निम्न मंत्र का तीन बार जाप करें,

ज्योतिष और धर्म में पितरों की मुक्ति के लिए आस्था के साथ किए जाने वाले अनुष्ठान को श्राद्ध कहते हैं। तर्पण अनुष्ठान में तिल के साथ जल चढ़ाने से पितृ, देवता और ऋषि प्रसन्न होते हैं। जानकारों का कहना है कि पिंडदान को मोक्ष प्राप्ति का आसान तरीका माना जाता है। तर्पण और पिंडदान अनुष्ठान कुछ पवित्र स्थानों पर किए जा सकते हैं जबकि श्राद्ध घर पर किया जाता है। ये तीनों अनुष्ठान पितृधारवाड़ के दौरान पितरों का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए किए जाते हैं।

Related News