इस साल 2 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ होकर 17 सितंबर तक रहेगा। यह समय पितरों को तृप्त करके उनका आशीर्वाद लेने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि इस समय पितर धरती पर होते है, इसलिए इस दौरान पितरों के तर्पण के लिए दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। कहाँ जाता ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। आपने देखा होगा पितृ पक्ष में पिंड दान के लिए चावल से बना हुआ पिंड दान करते है, लेकिन आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है।

बात करे पिंड दान की तो चावल की तासीर ठंडी होती है इसलिए पितरों को शीतलता प्रदान करने के लिए चावल के पिंड बनाए जाते हैं, चावल के गुण लंबे समय तक रहते हैं जिससे पितरों को लंबे समय तक संतुष्टि प्राप्त होती है।

बात करे कुशा और दूर्वा की तो दोनों में शीतलता प्रदान करने के गुण पाए जाते हैं। कुशा घास को बहुत पवित्र माना जाता है, इस पवित्री भी कहा जाता है। इसलिए श्राद्धकर्म करने से पहले पवित्रता के लिए हाथ में कुशा धारण की जाती है।

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