हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व होता है, इस साल पितृपक्ष 2 सितंबर 2020 से 17 सितंबर तक चलेगा, पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन कौवों को भी भोजन कराया जाता है, लेकिन अपने कभी सोचा है, इस दिन कौवों को भोजन क्यों कराया जाता है,,अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते है।

पितृपक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है, यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे पित्तरों का श्राप लगता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है। उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना होता है।

माना जाता है कि कौवे इस समय में हमारे पित्तरों का रूप धारण करके पृथ्वीं पर उपस्थित रहते हैं, इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है।

इन्द्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले कौवे का रूप धारण किया था, यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था, तब भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी, जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा, तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है।

Related News