सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व दिया गया है। यह वो समय है जब मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष कर्मकांड किए जाते हैं। माना जाता है श्राद्ध पक्षके दौरान किए गए दान-पुण्य पितरों तक पहुंचते हैं और परिवार वालों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्राद्ध के महीने में पितरों लिए किया गया तर्पण बेहद महत्वपूर्ण होता है।

माना जाता है इस दौरान हमारे पितृ कौवों के रूप में ही धरती पर आते हैं, और इस दौरान उनके द्वारा भोजन ग्रहण करने का अर्थ यही है कि वह भोजन आपके मृत पूर्वजों तक पहुंच गया है।

अगर किसी कारणवश कौवों को भोजन नहीं दिया जाए तो यह पूर्वजों की नाराजगी का कारण बनता है और अगर आपके द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण नहीं करते तो यह पितरों के रोष और उनकी नाराजगी को जाहिर करता है।

श्राद्ध पक्ष के दौरान अगर आपको कोई कौवा अपनी चोंच में फूल या पत्तियां लिए बैठा या उड़ता दिखाई दे तो समझ लीजिए आपकी इच्छाएं बहुत ही जल्द पूरी होने वाली हैं।

अगर आपको श्राद्ध पक्ष के दौरान गाय की पीठ पर कोई कौवा बैठा नजर आए तो यह धन आगमन का सूचक है।

अगर श्राद्ध का भोजन करने के बाद कौवा किसी पानी के स्थान पर जाकर बैठ जाए तोइसका अर्थ है कि आपको कोई खोई हुई चीज जल्द ही वापस मिलने वाली है।

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