इस मंदिर में मूर्ति को छूने से आज भी कतराते हैं लोग
दुनिया में ऐसी कई चीज़े है जिनका रहस्य कभी खुला नहीं है। आज भी ऐसी कई चमत्कारी चीजें है, जिनके बारे में पूरी जानकारी पाना बहुत मुश्किल ही नहीं असंभव है। इनमे सबसे खास है भारत, हमारे देश के मंदिर और इनसे जुड़े चमत्कार जो बेहद ही अद्भुत है। इनके चमत्कार के पीछे की वजह जान पाना नामुमकिन है। आज हम एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी बताने जा रहें है जिन्हें जान कर आप हैरान रह जाएंगे। यहां हम बात कर रहे है
छत्तीसगढ के जगदलपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी के किनारे पर बसा शिवमंदिर की।
ये ऐसा शिव मंदिर है जहां की मूर्तियों को आज तक कोई छू नही पाया है। दरअसल, इंद्रावती नदी के किनारे पर बसें इस शिवमंदिर के परिसर में 10वीं शताब्दी की मूर्तियों को छिंदगांव के लोग
छूने से भी कतराते है। ऐसा इसलिए है किया जाता है क्योंकि यहां के लोगों का मानना है कि यहां के राजा ने 74 साल पहले उन्हें ऐसा करने से मना किया था। राजाज्ञा की वह तख्ती आज भी इस मंदिर के परिसर में टंगी है। इसलिए गांव के लोग अपने राजा की इस आज्ञा का पालन आज तक करते आ रहें है।
वे आज भी उनके आदेशों का सम्मान करते है, क्योकिं वे बस्तर राजा को ही अपनी आराध्या मां दंतेश्वरी का माटी पुजारी मानते है। देश की आजादी के साथ ही 70 साल पहले रियासत कालीन व्यवस्था समाप्त हो गई है, लेकिन आज भी यहां इस राजाज्ञा का पालन कर रहे है। ये मंदिर आज भी काफी फेमस है।