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हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, पितृ पक्ष की अवधि अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर अमावस्या तिथि तक होती है। इन 16 दिनों को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह सनातन मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितृगण अपने लोकों को त्यागकर धरती पर वास करते हैं। इसलिए पितरों को श्राद्ध देने के लिए लोग नदी किनारे और मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर जाते हैं। इसके बाद शुद्ध जल से पितरों का तर्पण करते हैं।

दोस्तों, आपको बता दें कि किसी भी धार्मिक अथवा पवित्र कार्य में मंत्र का उच्चारण करना बहुत आवश्यक माना गया है। श्राद्ध में भी तर्पण करते समय मंत्रों का विशेष महत्व है।

इस स्टोरी हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करते समय किन-किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

1- ॐ पितृ दैवतायै नम: (108 बार )

2- ॐ नागदेवतायै नम: (21 बार ) ।

3- ॐ कुलदेवतायै नम: (21 बार ) ।

4- ॐ कुलदैव्यायै नम: (21 बार ) ।

गौरतलब है कि तर्पण करते समय उपरोक्त मंत्रों का जाप करने से पितर प्रसन्न होते हैं। ध्यान रहे ब्राह्मण भोज के समय ब्राह्मण को बैठाकर पैर धोएं तथा भोजन कराएं। ब्राह्मण को भोजन करवाकर सामर्थ्य के अनुसार दान दें।

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