दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट ‘PARLE-G’ एक बार फिर चर्चा में है। इस समय कंपनी सबसे ज्यादा मंदी के दौर से गुजर रही है। स्वदेशी कंपनी के 10 हजार लोगों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

क्या कहते हैं पारले-जी के कैटेगरी हेड
कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह का कहना है उन्हें कंपनी में काम करने वाले 8 से 10 हजार लोगों की छंटनी कर पड़ सकती है। कंपनी ने केन्द्र सरकार से ‘100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्कुट पर जीएसटी को कम करने के लिए कहा है। पारले प्रोडक्ट्स के बिस्कुट सामान्यतः 5 रुपये या उससे भी कम के पैक में बिकते हैं।



पारले प्रोडक्ट्स पारले-जी के अलावा अन्य बिस्किट्स जैसे मोनैको और मेरीगोल्ड बिस्कुट भी बनाती है। कंपनी की बिक्री 10,000 करोड़ रुपये से अधिक होती है। पूरे देश में कंपनी के 10 प्लांट हैं। कंपनी के व्यापार का आधे से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण बाजार से आता है। जब दो साल पहले जीएसटी लागू किया तो सभी प्रकार के बिस्कुट को 18 प्रतिशत वाले टैक्स स्लैब में डाल दिया। इस से कंपनी को दाम बढ़ाना पड़ा और बिक्री पर इसका असर देखने को मिला।

पारले-जी का रोचक इतिहास

मुंबई के विले पार्ले (पूर्व) में रहने वाले चौहान परिवार ने1929 में एक छोटे से कारखाने से पारले एग्रो उत्पादन की शुरुआत की थी। शुरुआत में कंपनी टॉफी बनाती थी इनमे पार्ले टॉफी, मैंगो बाइट आदि शामिल थी। 1939 में कंपनी ने बिस्कुट का उत्पादन शुरू किया था। कंपनी का नाम मुंबई के उपनगर विले पार्ले से लिया गया है। विले पार्ले रेलवे स्टेशन का नाम भी पार्ले नामक गाँव पर आधारित है।

कौन है पारले-जी के रैपर पर छपी तस्वीर वाली लड़की ?

पारले-जी बिस्कुट के रैपर पर एक अत्यंत सुंदर और प्यारी सी बच्ची की तस्वीर छपी दिखाई देती है। ये बच्ची कौन है और अब कहाँ है? चर्चा शुरू होने पर कई महिलाओं के नाम सामने आये और तरह-तरह की अटकलबाजियाँ शुरू हुईं। तब कंपनी ने खुद इस बात का उल्लेख किया कि पारले-जी के पैकेट और रैपर पर दिखने वाली बच्ची की तस्वीर का वास्ता किसी भी महिला से नहीं है और यह एक काल्पनिक प्रतिकृति है।

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