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महाभारत के अनुसार, जब पांडव कौरवों से जुए में हार गए तो इसके बाद उन्हें 12 साल तक वनवास और 1 साल तक अज्ञातवास में रहना पड़ा। अज्ञातवास के दौरान सभी पांडवों अपनी अपनी पहचान छुपा कर और रूप बदल कर विराट नगर में रह रहे थे। इस दौरान अर्जुन एक किन्नर के रूप में रह रहे थे। अर्जुन जैसा पराक्रमी योद्धा कैसे एक किन्नर बन गया, इससे जुड़ी एक कथा भी महाभारत में मिलती है। इसी बारे में हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं।

अर्जुन गए दिव्यास्त्रों की खोज में

जब पांडव 12 साल के वनवास पर थे, तब श्रीकृष्ण उनसे मिलने के लिए वन में गए। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि 12 साल बाद तुम्हारा युद्ध कौरवों से अवश्य होगा, उस समय तुम्हें दिव्यास्त्रों की जरूरत होगी। इसके लिए तुम्हे महादेव को प्रसन्न करने के लिए अभी से तपस्या करने चाहिए। श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन महादेव को प्रसन्न करने निकल पड़े। तब अर्जुन ने वन में रहते हुए सालों तक महादेव की तपस्या की।

अर्जुन से प्रसन्न हुए महादेव
अर्जुन की तपस्या से महादेव उनसे बेहद प्रसन्न हुए और उस समय शिकारी के रूप में अर्जुन से मिलने पहुंचे। इस दौरान किसी कारण से अर्जुन और महादेव के बीच युद्ध भी हुआ, जिसमें अर्जुन हार गए। अर्जुन को समझ आ गया था कि ये शिकारी कोई और नहीं बल्कि साक्षात महादेव ही हैं। तब महादेव अपने वास्तविक स्वरूप में आए और उन्होंने अर्जुन को अनेक दिव्यास्त्र भी दिए। महादेव ने अर्जुन को ये भी बताया कि बाकी के दिव्यास्त्र स्वर्ग में मौजूद अन्य देवताओं के पास है।

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अर्जुन पहुंच गए स्वर्ग
दिव्यास्त्रों की खोज करते करते अर्जुन स्वर्ग में पहुंच गए। वहां देवराज इंद्र ने उनका स्वागत करने के साथ साथ अलग अलग देवी देवताओं के कईं दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी उन्हें प्रदान किए। देवराज इंद्र ने फिर उन्हें संगीत और नृत्य सीखने के लिए चित्रसेन के पास भेजा। चित्रसेन ने इंद्र का आदेश पाकर अर्जुन कोदोनों ही कलाओं नृत्य और संगीत में पारंगत कर दिया।

उर्वशी ने दिया अर्जुन को श्राप
तब स्वर्ग में उर्वशी नाम की अप्सरा अर्जुन को अपना दिल दे बैठी और सारी बात अर्जुन को बताई। लेकिन पुरु वंश (अर्जुन के पूर्वज) की जननी होने के कारण अर्जुन ने उन्हें माता के समान बताया। ये सुन उर्वशी को बेहद ही क्रोध आया और उन्होंने अर्जुन को किन्नर बनने का श्राप दे दिया। जब ये बात अर्जुन ने देवराज इंद्र को बताई तो उन्होंने इस बारे में बताया कि उर्वशी का ये श्राप सिर्फ एक वर्ष तक ही रहेगा।

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कैसे ये श्राप बन गया वरदान?

जब अर्जुन सहित सभी पांडव अज्ञातवास के दौरान रूप बदल कर रह रहे थे तो उस समय अर्जुन उर्वशी द्वारा दिए गए श्राप के कारण किन्नर बन गए। विराट नगर में उन्होंने इस दौरान राजकुमारी उत्तरा को नृत्यु और गायन की शिक्षा भी दी। एक वर्ष के बाद अर्जुन पुन: अपने वास्तविक रूप में आ गए।

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