Offbeat: इस कुंड को माना जाता है रहस्यमयी, पानी की तीन बूंद पीने से ही बुझ जाती है प्यास
हमारे देश में कई ऐसे कुंड मौजूद हैं जिनसे जुडी कई कहानियां भी प्रचलित हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। इसके पानी के श्रोत के बारे में कोई नहीं जान पाया है। वहीं ये कुंड इतना चमत्कारिक है कि इसके पानी की तीन बूंदे पीने से ही प्यास बुझ जाती है। ये मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्तिथ है और इसका नाम भीमकुण्ड है। इसके बारे में माना जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां से जा रहे थे। तभी द्रौपदी को प्यास लगी तो पांडव आस पास पानी की तलाश करने लगे।
लेकिन उन्हें कहीं पानी नहीं मिला। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने नकुल को याद दिलाया कि उनके पास इतनी शक्ति है कि वह पाताल में गहराई में स्तिथ पानी को भी खोज सकते हैं। इसके बाद नकुल ने ध्यान लगाया और उन्हें पता चला कि पानी कहां है? लेकिन पानी कैसे मिले यह परेशानी खत्म नहीं हुई क्योकिं समझ नहीं आ रहा था कि पानी प्राप्त कैसे किया जाए। द्रोपदी को प्यास से तड़पता देख भीम ने अपनी गदा से पानी वाले स्थान पर वार कर दिया। गदा के प्रहार से जमीन में कई छेद हो गए जिसमें से पानी निकलने लगा। भूमि की सतह से जल स्रोत करीब तीस फीट नीचे था। फिर युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि वह अपनी धनुर्विद्या का कौशल दिखाएं और जल तक पहुंचने का रास्ता बनाएं।
र्जुन ने अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़ियां बना दीं। इस से द्रौपदी जल के स्ट्रीट तक पहुंच गई और पानी पीकर वापस आ गईं। यह कुंड भीम की गदा से बना इसलिए इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाने लगा। इसके बारे में ये भी माना जाता है कि ये भीमकुंड एक शांत ज्वालामुखी है। कई भू-वैज्ञानिकों ने इसकी गहराई मापने की कोशिश की, लेकिन कुंड के तल का पता नहीं चल पाया। बताया जाता है कि कुंड की अस्सी फिट की गहराई में तेज जलधाराएं प्रवाहित होती हैं.
यह धाराएं शायद इसको समुद्र से जोड़ती हैं। भू-वैज्ञानिकों के लिए भी भीमकुंड की गहराई आज भी रहस्य बनी हुई है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से कई बीमारियां खत्म हो जाती है। अगर कोई कितना भी प्यासा हो इस कुंड की तीन बूंदों से उसकी प्यास बुझ जाती है। वहीं अगर कोई संकट आने वाला होता है तो इस जल स्त्रोत का पानी बढ़ने लगता है।