भगवान शिव के 19 अवतारों में से इस 1 अवतार की आज भी नहीं होती है पूजा, जाने क्यों
महादेव त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू शिव घर्म शिव-धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है।
आपको भगवान भोलेनाथ के अवतारों के बारे में जरूर मालूम होगा। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान भोलेनाथ के कुल 19 अवतार हुए हैं। जिनमें 18 अवतारों की पूजा की जाती है और एक अवतार की पूजा नहीं की जाती है। वह अवतार भगवान श्री कृष्ण द्वारा श्रापित भी है। इसी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
बता दें कि कौरव पांडव के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को ही भगवान भोलेनाथ का 19वां अवतार माना जाता है। द्रोणाचार्य ने कठिन तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को अपने पुत्र के रूप में मांगा था, जिससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उन्हें ये वरदान दिया था। द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा महाभारत काल का एक शक्तिशाली, ताकतवर और पराक्रमी योद्धा था, जिसने महाभारत युद्ध में कौरवों की तरफ से पांडव के खिलाफ युद्ध किया था। महाभारत युद्ध जब समाप्त हुआ तब अश्वत्थामा ने पांडवों के पांचों पुत्रों का नींद की अवस्था में वध कर दिया था।
उसके बाद सभी पांडव और भगवान श्री कृष्ण हताश होकर अश्वत्थामा के पास पहुंचे। उसके बाद अर्जुन को देखकर अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर देता है लेकिन अर्जुन ने भी अश्वत्थामा के अस्त्र का उत्तर देने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। उसके बाद दोनों ब्रह्मास्त्र टकराने वाले ही थे कि ब्रह्मा जी प्रकट हो जाते हैं और दोनों को अपने अस्त्र वापस लेने को कहते हैं। उसके बाद अर्जुन अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लेता है लेकिन अश्वत्थामा को अपना ब्रह्मास्त्र वापस लेना नहीं आता था। उसके बाद अश्वत्थामा ने वह अस्त्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा पर चला दिया। लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा की।
उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को इस अपराध के लिए श्राप देते हैं कि वह सृष्टि के अंत तक इस धरती पर युगों युगों तक अकेला भटकता रहेगा। कहा जाता है कि आज भी अश्वत्थामा इस धरती पर भटक रहा है और वह इस धरती के अंत तक हमेशा जीवित रहेगा। बता दे अश्वत्थामा भगवान शिव का अवतार था लेकिन ना तो उसे सम्मान मिला और ना ही उसकी पूजा की जाती है।