दोस्तों एक बहुत ही मशहूर कहावत हैं – ‘यदि आप गरीब पैदा होते हो तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं हैं, लेकिन यदि आप गरीब हालत में ही इस दुनियां से चले जाते हो तो फिर इसमें सिर्फ और सिर्फ आपकी ही गलती हैं.’ इसे आसान शब्दों में कहे तो कई लोग अपनी किस्मत को दोष देते हैं कि हमारा जन्म अच्छे परिवार में नहीं हुआ हैं. हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी किस्मत की शिकायत करने की बजाये खुद ही अपना भाग्य लिखने निकल पड़ते हैं. इस दुनियां में कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं. आपको बस हार नहीं माननी हैं और अपने सपनो को पूरा करने के लिए लगातार लगे रहना हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की प्रेरणादायक कहानी सुनाने वाले हैं जो कि एक गरीब मजदूर परिवार से ताल्लुकात रखता हैं. इस व्यक्ति के घर में किसी ने कभी पढ़ाई नहीं की. लेकिन इस शख्स को ये मंजूर नहीं था. वो पढ़ते रहा और एक ऐसा काम कर दिखाया कि सिर्फ उसके माता पिता ही नहीं बल्कि उर गाँव उस पर गर्व करने लगा.

इनसे मिलये. ये हैं राजस्थान के पाली के ढाणी गांव के रहने वाले मांगीलाल देवासी.

मांगीलाल एक गरीब मजदूर परिवार से आते हैं. उनके खानदान में पीदियों से किसी ने कभी कोई पढ़ाई नहीं की. लेकिन मांगीलाल के पेरेंट्स चाहते थे कि उनका बीटा वो साड़ी तकलीफे ना झेले जो हमने झेली हैं. वे अपने बेटे को पढ़ा लिखा सरकारी नौकरी कराना चाहते थे. उधर मांगीलाल ने भी जिद कर ली थी कि चाहे कुछ भी हो जाए वो सरकारी नौकरी हासिल कर के ही रहेगा. हालाँकि परिवार के हालात ऐसे नहीं थे कि वे कोचिंग लगवा कर पढ़ सके. इसलिए वे अक्सर अपने दोस्तों से किताब उधार मांग लेते थे और पधिया कर लेते थे. मांगीलाल ने इस दौरान मजदूरी की, भेड़ बकरियां चराई लेकिन फिर भी पढ़ाई करना नहीं छोड़ा. उनके सामने अपना लक्ष्य क्लियर था.

मंगिलाला के खानदान में आज तक किसी ने कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा था लेकिन उन्होंने कॉलेज की पढाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने बीते 6 साल में लगभग 19 प्रतियोगिताओं में भाग लिया. हर बार उन्हें असफलता ही मिली. मांगीलाल इससे निराश नहीं हुए और कोशिश करते रहे. फिर आखिर 20वे प्रयास में उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला. उनका सिलेक्शन गवर्नमेंट टीचर के लिए हो गया. इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी ना सिर्फ उनके माता पिता को हुई बल्कि उन्कापुरा गाँव ख़ुशी से झूम उठा. जा वे ये खुशखबरी लेकर गाँव पहुंचे तो सब ने उन्हें कंधे पर उठा लिया. उनका पूरा गर्मजोशी से स्वागत किया गया. फेक्ट्री में मजदूरी करने वाले उनके माता पिता की आँखों से आंसू झलक आए.

मांगीलाल वर्तमान में संस्कृत और समाजशास्‍त्र में सेकंड ग्रेड टीचर हैं.लेकिन दिलचस्प बात ये हैं कि मांगीलाल अभी संतुष्टि से बेठने वाले नहीं हैं. उनका सपना RAS बनने का हैं. इसलिए वे टीचिंग के साथ इसकी भी तैयारी कर रहे हैं. मांगीलाल की ये कहानी सच में प्रेरणादायक हैं. उन्होंने बहुत कम संसाधनों में भी अपने सपनो को पूरा किया हैं.

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