By Jitendra Jangid:- दोस्तो अगर हम बात करें मेट्रो शहर की जहां लाखों लोग गांव से शहर में पैसा कमाने, पढाई करने आते है, गांव से शहर और शहर से गांव रोज आना जाना मुश्किल हैं, इसलिए वो शहर में घर रेंट पर लेते हैं और शहर में रेंट पर घर देना एक व्यापार हैं। जिससे वो लाखों रूपए महीने का कमाते हैं, लेकिन अब किराए पर अपनी देने वालों के लिए इस पर ध्यान देने का समय आ गया है। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए हाल के बदलावों ने नए नियम पेश किए हैं, जो मकान मालिकों को काफी प्रभावित कर सकते हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य कर चोरी को रोकना और किराये की आय की उचित घोषणा सुनिश्चित करना है। आइए जानते हैं इन नए नियमों के बारे में-

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अनिवार्य कर घोषणा: मकान मालिकों को अब अपनी किराये की आय को "हाउस प्रॉपर्टी से आय" के रूप में घोषित करना होगा। इस बदलाव का उद्देश्य कर चोरी के मामलों को कम करना है।

कर दायित्व: सभी मकान मालिकों को किराए से अर्जित आय पर कर का भुगतान करना होगा। इसका मतलब है कि पहले की सामान्य प्रथाएँ, जैसे कि करों से बचने के लिए किराये के समझौतों को औपचारिक रूप न देना

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गैर-अनुपालन के लिए दंड: पूरी किराये की आय घोषित करने में विफलता के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण दंड हो सकता है।

गृह संपत्ति से आय की परिभाषा: यह शब्द मकान मालिकों द्वारा अपनी संपत्ति को किराए पर देने से अर्जित आय को संदर्भित करता है।

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कार्यान्वयन समयरेखा: नए नियम पहले से ही प्रभावी हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कर रिटर्न दाखिल करते समय, मकान मालिकों को इन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। गलत घोषणाओं पर जुर्माना लग सकता है।

मकान मालिकों के लिए संभावित राहत: मकान मालिक अपनी संपत्ति आय से संबंधित करों पर 30% तक की बचत कर सकते हैं, जिससे वित्तीय बोझ कम करने में मदद मिलती है।

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