17 जून 1631 में मुमताज की मौत हुई थी। उनकी याद में ही शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया था। जानकारी के अनुसार मुमताज की मौत शाहजहां के 14वें बच्चे को जन्म देते वक्त मध्य प्रदेश में हो गई थी। शाहजहां ने फिर ताजमहल का निर्माण करवाया था, जिसे बनने में करीब 20 साल लग गए थे।

मुमताज का जन्म 27 अप्रैल 1593 में आगरा में हुआ था और मुमताज का नाम अर्जुमंद बानो था। कहा जाता है कि अर्जुमंद बानो शाहजहां को पहली नजर में ही पसंद आ गई थीं। जानकारी के अनुसार शाहजहां की सगाई मुमताज से 1607 में ही हुई थी, लेकिन शादी सगाई के पांच वर्ष बाद हुई।

मुमताज को मौत के बाद आहुखाना के बाग में दफना दिया गया। यह इमारत आज भी खस्ता हाल में है। इतिहासकारों के मुताबिक मुमताज की मौत के बाद शाहजहां का मन हरम में नहीं रम सका। कुछ दिनों के भीतर ही उसके बाल सफ़ेद हो गए। बादशाह जब तक बुरहानपुर में रहे नदी में उतरकर बेगम की कब्र पर हर जुमेरात को वहां गए। जिस जगह मुमताज की लाश रखी गई थी उसकी चारदीवारी में दीये जलाने के लिए आले बने हैं। यहां 40 दिन तक दीये जलाए गए।

शाहजहां की इच्छा थी कि ताप्ती नदी के तट पर ही मुमताज की स्मृति में एक भव्य इमारत बने। शाहजहां ने ईरान से शिल्पकारों को जैनाबाद बुलवाया। शिल्पकारों ने ताप्ती नदी के का निरीक्षण कर इस जगह पर कोई इमारत बनाने से मना कर दिया। तब शहंशाह ने आगरा की और रुख किया। जिस स्थान पर आज ताजमहल है उसको लेकर लोगों के अलग-अलग मत है।

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