एथलेटिक्स में भारत का परचम लहराने वाले धावक मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को हुआ था, आज १९ जून २०२१ में उन्होंने अंतिम सांस ली,उन्होंने भारत के लिए कई रेस में भाग लिया और अधिकतर रेस में जीत दर्ज की. रिपोर्ट्स के अनुसार वह 75 रेस अपनी जीत दर्ज करवा चुके हैं, वहीं इतनी रेस जीतने के बावजूद देश ये जानना चाहता था कि उन्होंने अर्जुन अवॉर्ड लेने से क्यों मना कर दिता था।


उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए साल 1959 में पद्म अवार्ड से सम्मानित किया गया है और 2001 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया, मिल्खा सिंह की झलक कभी-कभार ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब पुरानी परंपरा के अनुरूप वे अपने मेहमानों को गेट के बाहर तक छोडने आते हैं।

अपनी मांगों को लेकर उनमें बड़ी खटास रही है. उन्होंने 2001 में अर्जुन पुरस्कार ठुकरा दिया था, उनका कहना था कि यह पुरस्कार उन्हें बहुत देर से दिया गया, वे पूछते हैं, 'लंदन में 'भाग मिल्खा भाग' के प्रीमियर के बाद मुझे हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आमंत्रित किया गया, क्या हमारी सरकार को नहीं मालूम कि मिल्खा सिंह कौन है?

देश ने भले ही अब तक मिल्खा को पर्याप्त सम्मान न दिया हो लेकिन वे 1960 के रोम ओलंपिक में जीत की पक्की उम्मीद के साथ गए थे, टोक्यो में आयोजित 1958 के एशियाई खेलों में उन्होंने 45.8 सेकेंड का विश्व रिकॉर्ड बनाया था, वे अमेरिका के ओटिस डेविस को छोड़कर लगभग सभी प्रतिद्वंद्वियों को हरा चुके थे।

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