हजारों सालों से विज्ञान 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है। जब भौतिकता का मोह खत्म हो जाए और ऐसी स्थिति आए कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाएं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है, और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाए तो वहां शिव का प्राकट्य होता है। शिव यानी शून्य से परे। जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्याग कर सच्चे मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है। उन्हीं एकाकार और अलौकिक शिव के महारूप को उल्लास से मनाने का त्योहार है महाशिवरात्रि।

Related News