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महाभारत काल में अर्जुन को स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी ने किन्नर बनने का श्राप दिया था। लेकिन, यही श्राप अर्जुन के लिए आगे चलकर अर्जुन के लिए एक आशीर्वाद साबित हुआ जिस से उन्हें अपनी पहचान छुपाने में मदद मिली। आइए जानते हैं इसके बारे में।

दरअसल, हुआ कुछ यूं कि दिव्य अस्त्र-शस्त्र के लिए अर्जुन ने देवताओं के राजा इंद्र का रुख किया. वहां, पहुंचकर अर्जुन ने इंद्र देव की आराधना की। इस से इंद्र देव प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। अर्जुन ने दिव्यास्त्र की मांग की। इसके बाद इंद्र देव ने अर्जुन को ढेर सारे दिव्यास्त्र प्रदान किए।

इसी बीच एक ऐसी घटना घटी जिसने अर्जुन को चौंका दिया। दरअसल स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा अर्जुन पर मोहित हो गई। वह अर्जुन से विवाह करना चाहती थी लेकिन अर्जुन ने उन्हें मना कर दिया।

अर्जुन की ओर से ना सुनने के बाद उर्वशी को बेहद क्रोध आया और उन्होंने अर्जुन को कहा कि तुम किन्नर या नपुंसक बन जाओगे। श्राप मिलते ही अर्जुन खुद अचंभित हो गए लेकिन उन्होंने इंद्र देव से इसका निदान पूछा। उन्होंने अर्जुन से कहा कि ये श्राप तुम्हे केवल एक साल तक झेलना होगा।

इंद्र देव से दिव्य अस्त्र-शस्त्र लेकर और श्राप का तोड़ जानकर अर्जुन दोबारा पृथ्वी पर लौट आए। जिसके बाद अज्ञातवास के दौरान उन्होंने किन्नर बृहन्नला के रूप में विराट नगर के राजा विराट के यहां रहकर एक साल तक उनकी बेटी को नृत्य सिखाया। यही कारण था कि अज्ञातवास में दुर्योधन और उसके राज्य के गुप्तचर पांडवों को नहीं ढूंढ पाए। इसी कारण कहा जाता है कि उर्वशी का श्राप अर्जुन को लाभ पहुंचा गया।

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