भगवान श्रीराम को बहुत प्रिय थी यह जगह, गुजारे थे वनवास के 11 साल
दोस्तों, यह बात सभी जानते हैं कि भगवान श्रीराम को अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए 14 वर्ष के लिए वन जाना पड़ा था। वनवास के दिनों में प्रभु श्रीराम को अनेक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। मन में यह सवाल हमेशा बना रहता है कि आखिर श्रीराम ने वनवास के दौरान सबसे अधिक समय कहां व्यतीत किए थे। जी हां, इस स्टोरी में हम आपको उसी स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण व सीता के साथ वनवास के पूरे 14 साल में से 11 साल गुजारे थे। बता दें कि भारत के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक इस स्थान का नाम चित्रकूट है।
मध्यप्रदेश के सतना जिले में मंदाकिनी नदी के किनारे चित्रकूट में ही भरत जी ने श्रीराम से अयोध्या लौटने की बात कही थी। महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम को वनवास के दौरान इस स्थान पर रहने की सलाह दी थी। यह स्थान चारों तरफ से विंध्य पर्वतों से घिरा हुआ है।
श्रीराम के चरण-चिन्ह
चित्रकूट में राम के चरण-चिन्ह आज भी मिलते हैं। मान्यता है कि जिस स्थान पर श्रीराम अपने भाई भरत से मिले थे, वहां पत्थर पर उनके पैरों के निशान अंकित हो गए थे।
लक्ष्मण पहाड़ी
चित्रकूट में एक लक्ष्मण पहाड़ी भी है। मान्यता है कि यह लक्ष्मण जी की सबसे प्रिय जगहों में से एक थी। यहीं बैठ कर वे रात में भगवान श्रीराम और माता सीता के लिए पहरा दिया करते थे।
हनुमान धारा
हनुमान धारा मंदिर है, जिसकी धारा हनुमान कुंड में गिरती है। इस जगह से लगभग सौ सीढ़ी चढ़ने पर सीता रसोई नाम की जगह आती है।