बता दें कि हिंदू धर्म वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इसी तिथि पर भक्त प्रह्राद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह का अवतार लिया था। इस साल 17 मई को नृसिंह जयंती मनाई जाएगी। बता दें कि भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। इनका प्राकट्य गोधूली वेला में हुआ था। भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं। यह मान्यता प्रचलित है कि इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है। साथ ही हर प्रकार शत्रु और विरोधी शांत होते हैं। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना किस विधि से की जाए।

- सबसे पहले प्रातःकाल उठकर घर की साफ़-सफाई करें।
- इसके बाद दोपहर में तिल, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें।
- भगवान नृसिंह के चित्र के समक्ष दीपक जलाएं। भगवान नृसिंह को प्रसाद और लाल फूल चढ़ाएं।
- भगवान नृसिंह के मन्त्रों का जाप मध्य रात्रि में करना उत्तम होगा।

- भगवान नृसिंह के समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाएं और एक लाल रेशमी धागा भी अर्पित करें। इसके बाद विशेष मन्त्र ॐ नृ नृसिंहाय शत्रु भुज बल विदीर्णाय स्वाहा का जाप करें। अंत में भगवान नृसिंह को अर्पित किए हुए धागे को दाहिने कलाई में धारण करें। - व्रत के दिन जलाहार या फलाहार करना सही रहेगा। भगवान नृसिंह की उपासना के अगले दिन निर्धनों को अन्न-वस्त्र का दान करकर व्रत का समापन करें।

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