पेशाब और शौच एक प्राकृतिक क्रिया हैं, लेकिन हम इंसान इसमें भी धर्म को ले आये? सुनने में ये थोड़ा अजीब लगता है लेकिन आज हम आपको इस बारे में ही कुछ बताने जा रहे हैं।

पेशाब करने और शौच करने का हिंदू तरीका स्वास्थ्यप्रद तरीका है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार पेशाब हमेशा बैठ कर ही करना चाहिए। पेशाब करने के लिए खड़ी मुद्रा सबसे गलत है,क्योंकि इसमें "संचित रज-तम प्रबल ऊर्जा का प्रवाह पैरों की ओर करता है। यह नकारात्मक उर्जा पाताल से निकलने वाली कष्टदायक नकारात्मक उर्जा को अपनी ओर खिचती हैं।

टॉयलेट पेपर सात्विक नहीं है

शौच के बाद टॉयलेट पेपर के बजाय पानी का इस्तेमाल करना उचित है। टॉयलेट पेपर सात्विक नहीं है। इसके अलावा, टॉयलेट पेपर पृथ्वीवत्त्व से जुड़ा हुआ है। इसलिए, यदि शौच के बाद उपयोग किया जाता है, तो यह पृथ्वी तत्व से जुड़े रजतम को नष्ट करने में असमर्थ है।"

हिंदू मान्यताओं के अनुसार शौच जाते हमेशा उकड़ू बैठना ही सबसे अच्छा बताया गया है जबकि पाश्चात्य सभ्यता में कमोड में किसी कुर्सी की तरह बैठते हैं। उकडू बैठने से पैरों की एक्सरसाइज भी होती है और इस तरह से मल उत्सृजन भी ठीक तरह से हो पाता है।

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