कालभैरव के बारे में आपने भी जरूर सुना होगा। इनकी पूजा भारत के साथ साथ नेपाल, श्रीलंका, तिब्बत आदि में की जाती है। लेकिन इन्हे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र में खंडोबा के नाम से पूजा अर्चना होती है, वहीं दक्षिण भारत में भैरव का नाम शाश्ता है। ये काल के देवता है।

माना जाता है कि भगवान शिव के तम गण हैं – भूत, प्रेत, पिशाच, पूतना, कोटरा और रेवती आदि। विपत्ति, रोग और मृत्यु के समस्त दूत और देवता उनके सैनिक हैं और इन सभी गणों के अधिनायक है बाबा काल भैरव।

काल भैरव के बारे में शिवपुराण में बताया गया है। एक एक बार तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश मे विवाद पैदा हो गया कि तीनों में श्रेष्ठ कौन है। तब ब्रह्मा ने शिव की निंदा कर दी। इससे क्रोधित हुए शिव ने रौद्र रूप धारण कर लिया और इसी रौद्र रूप से काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया। इससे भैरव पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया।

ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति हेतु काल भैरव ने प्रायश्चित स्वरूप त्रिलोक का भ्रमण किया। लेकिन काशी पहुंचने के बाद वे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो सके।

भैरव को दंड पाणी भी कहा जाता है जिसका अर्थ है पापियों को दंड देने वाले। इसीलिए उनका अस्त्र डंडा और त्रिशूल है।

कालभैरव की पूजा करने से ये समस्याएं होती है दूर

1. काल भैरव की पूजा से बड़े से बड़े शत्रु शांत हो जाते हैं।

2. काल भैरव की उपासना का मंत्र ॐ काल भैरवाय नमः है।

3. यदि आप कर्ज में डूबे हैं तो हर बुधवार को कम या ज्यादा काली मिठाई गरीबों में बांटे।

4. यदि मानसिक परेशानियां समाप्त न हो रही हों, नींद न आती हो,डर लगता हो तो पुरोहित जी से भैरव के चरणों में रखा पानी वाला नारियल ले आएं और उसे सिरहाने रखकर सोएं। इस से मन शांत रहेगा।

Related News