राखी का त्योहार सावन के महीने में मनाया जाता है। राखी का पर्व इस बार 11 अगस्त को मनाया जाने वाला है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनकी कोई बहन नहीं होती है और बहुत सी बहने है जिनके कोई भाई नहीं होता । अब आज हम बताने जा रहे हैं कि वे किसको राखी बांध सकते हैं और बंधवा सकते है । यदि आपके कोई सागा भाई नहीं है तो आप चचेरे भाइयों को राखी बांध सकती हैं और कोई बहन नहीं है तो आप चचेरी ममेरी बहन से राखी बंधवा सकते हैं । लेकिन अगर ऐसा न हो तो आप सावन की पूर्णिमा के दिन पुरोहित, पत्नी, गुरु और पिता से शुभ आशीर्वाद के लिए राखी बंधवा सकते हैं।

प्राचीन काल से ही समाज में पुजारी सभी को कलावा बांधते रहे हैं। कहा जाता है कि पुराने जमाने में सावन पूर्णिमा के दिन पुजारी राजाओं को रक्षासूत्र बांधते थे। हालांकि, इसके पीछे एक उद्देश्य था, जो यह था कि वे समाज के सभी वर्गों की रक्षा करेंगे। आज भी अगर कोई घर में पूजा करता है तो पंडित घर में मौजूद सभी सदस्यों का कलावा बांधते हैं। इसके अलावा आजकल राखी का पर्व मनाया जाता है। इसके कारण यदि आपकी कोई बहन नहीं है तो आप अपनी पत्नी से राखी बंधवा सकते हैं।

देवराज इंद्र को उनकी पत्नी शची ने रक्षासूत्र बांधा था। इसी को लेकर एक कहानी भी है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। वृत्रासुर नाम का एक राक्षस अपने साहस के बल पर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। वह किसी से पराजित नहीं हो सकता था, इसलिए देवराज इंद्र उससे कई बार हारे। तब देवराज ने महर्षि दधीचि के शरीर की हड्डियों से वज्र बनाया और प्रतिज्ञा की कि इस बार उसे वीरगति मिलेगी और वो विजयी होगें । यह सुनकर देवराज की पत्नी शची व्याकुल हो गईं और उन्होंने रक्षा सूत्र बनाकर इंद्र की कलाई पर बांध दिया। जिस दिन उन्होंने रक्षासूत्र बांधा, उस दिन सावन पूर्णिमा थी। फिर वह युद्ध में गया और विजय प्राप्त की। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने यह रक्षासूत्र राजा बलि को बांध दिया।

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