एक साल से अधिक समय हो गया है और दुनिया COVID-19 महामारी से जूझ रही है। हालाकिं वैज्ञानिकों को इस वायरस के बारे में बहुत कुछ पता लग चूका है फिर भी अभी कुछ चीजों को लेकर संदेह हैं। टीकाकरण अभियान जोरों पर चल रहा है और जिन लोगों को संक्रमण हुआ है, उन्हें ठीक होने के तीन महीने बाद टीका लगवाने की सलाह दी गई है।

कोरोना होने के बाद शरीर में एंटीबाडी तैयार हो जाती है लेकिन संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी कितने समय तक चलती है? खैर, एक नए अध्ययन में इस सवाल का जवाब है।

सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में और नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोविड​​​​-19 संक्रमण के हल्के मामलों से उबरने के महीनों बाद भी, लोगों के शरीर में SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ एंटीबाडी होती हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ऐसी कोशिकाएं जीवन भर रह सकती हैं, और एंटीबॉडी को पंप करती हैं।

अध्ययन ने सुझाव दिया कि हल्के COVID मामले लोगों को एंटीबॉडी की स्थायी सुरक्षा प्रदान करते हैं और बार-बार संक्रमण होने की संभावना नहीं है। पिछले साल, रिपोर्टों में कहा गया था कि संक्रमण के बाद एंटीबॉडी जल्दी खत्म हो जाती हैं, जिस से एंटीबाडी के रूप में लंबे समय तक नहीं रहती है। गंभीर संक्रमण के बाद एंटीबॉडी नीचे जाते हैं, जो सामान्य है, हालांकि, वे शून्य से नीचे नहीं जाते हैं।

अध्ययन के दौरान लोगों में संक्रमण के 11 महीने बाद भी एंटीबॉडी कोशिकाएं पाई गईं।

वायरल संक्रमण के बाद अधिकांश वाइट ब्लड सेल्स मर जाती है और रेड ब्लड सेल्स में भी गिरावट आने लगती है। लेकिन कुछ एंटीबाडी वाइट ब्लड सेल्स जो जीवित प्लाज्मा कोशिकाएं होती है वो बोन मेरौ में चली जाती है। वहां से, सेल्स एंटीबॉडी के निम्न स्तर को छिपा कर वायरस के एक और मुठभेड़ से लड़ने में मदद करती हैं।

ऐसा कहने के बाद, हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि एक COVID संक्रमण आपको फिर से वायरस से सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है। यह वायरस नया है और थोड़ा अप्रत्याशित रहता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप सभी COVID सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें।

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