इंटरनेट डेस्क। दोस्तों आपको बता दे की श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को शिव जी के व्रत किए जाते हैं। श्रावण मास में शिव जी की पूजा का विशेष विधान हैं। श्रावण मास के सोमवारों में शिव जी के व्रतों, पूजा और शिव जी की आरती का विशेष महत्त्व है। शिव जी के ये व्रत शुभदायी और फलदायी होते हैं। इन व्रतों को करने वाले सभी भक्तों से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। तो दोस्तों आज हम आपको सोलह सोमवार के व्रत करने के नियमो के बारे में बता रहे है जिनको अपनाकर आप शिवजी की कृपा पा सकते है। तो दोस्तों आप भी इन उपायों के बड़े जान लीजिये।

शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की सूर्योदय से पहले उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन सूर्य को हल्दी मिश्रित जल अवश्य चढ़ाएं। अब भगवान शिव की उपासना करें। सबसे पहले तांबे के पात्र में शिवलिंग रखें। भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।

शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की इसके बाद 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या स्वच्छ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए। अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है। महामृत्युंजय मंत्र, भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र या अन्य मंत्र, स्तोत्र जो कंठस्थ हो।

शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की शिव-पार्वती की पूजा के बाद सोमवार की व्रत कथा करना चाहिए। आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के बाद स्वयं ग्रहण करना चाहिए। इस दिन नमक रहित प्रसाद ग्रहण करना चहिये।

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