हिंदू धर्म में पूजा को विशेष स्थान दिया गया है। पूजा पाठ का दैनिक दिनचर्या में भी विशेष महत्व है, लगभग सभी के घरों में पूजा का एक अलग स्थान होता है। हर कोई इस पूजा की नींव पर ध्यान केंद्रित करता है और शांति से अपने भगवान की पूजा करता है। भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा पाठ करते हैं।

रोजाना पूजा करने के बाद भी आपका मन अशांत रहता है, या पूजा के समय मन इधर-उधर भटकता रहता है। इतना स्पष्ट है कि कहीं आप कोई गलती नहीं कर रहे हैं। अगर आप जो पूजा कर रहे हैं उसका उचित फल नहीं मिल रहा है, तो इसका अर्थ है कि आप पूजा के कारण कुछ गलतियां कर रहे हैं। ऐसे में रोजाना पूजा करना जितना जरूरी है उतना ही पूजा के कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है, नहीं तो आपको नुकसान हो सकता है।

पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य 5 बातें :-

भगवान की पूजा में आप जो कुछ भी करते हैं वह मन में दुर्लभ है। इसलिए हर देवता की पूजा मंत्र, आरती और पूजा करने के तरीके में भिन्न हो सकती है। आप चाहे जिस भी भगवान की पूजा कर रहे हों, वे सभी हमेशा एक जैसे होते हैं और उनकी पूजा मन से करनी चाहिए।

1- दिशा का रखें ध्यान:-

आपके घर के मंदिर या पूजा स्थल का मतलब हमेशा ईशान कोण उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशा भगवान के मंदिर के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।यदि आपके घर में पूजा का स्थान दक्षिण-पश्चिम दिशा में है तो पूजा का फल कम मिलेगा।

2- इसे वापस न करें:-

पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख पश्चिम की ओर हो और मंदिर या भगवान का मुख पूर्व की ओर हो। इतना ही नहीं देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ के बल नहीं बैठना चाहिए।

3- आसनों का प्रयोग :-

लोग जमीन पर बैठकर पूजा करने लगते हैं। इसका कोई उचित तरीका नहीं है, क्योंकि पूजा के दौरान आसनों का प्रयोग करना जरूरी होता है। ऐसा माना जाता है कि बिना आसन पर बैठे पूजा करने से दरिद्रता आती है। इसलिए पूजा करते समय साफ-सुथरे आसन का प्रयोग करना चाहिए।

4-मंदिर में जलाईं:-

यदि घर में कोई मंदिर या कोई पूजा स्थल है तो आपको सुबह और शाम दीपक जरूर जलाना चाहिए। घर में दीये जलाने से भगवान की कृपा बनी रहती है।

5- पंचदेवों की पूजा :-

भगवान विष्णु, गणेश, महादेव, सूर्य देव और देवी दुर्गा को पंचदेव कहा जाता है। ऐसे में प्रतिदिन पूजा करते समय इन पंचदेवों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति होती है।

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