हेल्थ इंश्योरेंस कराते वक्त रखें इन बातों का ध्यान, और बचे समय और पैसों का नुकसान से
जीवन में कब क्या हो जाए इसका कुछ पता नहीं है, जीवन के खत्म होने का खतरा हम समय मंडराता रहता है या फिर गंभीर बीमारियों की चपेट में आना भी आज आम हो गया है, इसी कारण लोग अब हेल्थ इंश्योरेंस की स्कीम लेना पसंद करते हैं जो फ्यूचर में फैमिली को सुरक्षित महसूस कराने में अहम रोल निभाती हैं।
डेंगू, मलेरिया या अन्य बीमारियों के चलते अगर अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए जो जेब पर बहुत भारी असर पड़ता है, लेकिन अगर हेल्थ इंश्योरेंस हो तो चीजें बहुत आसान हो जाती हैंहैं, ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस अब एक जरूरत है और इसी कारण इसको लेकर मार्केट में बहुत कंपटीशन भी हैं।
कंपनियों की भरमार है और लोग अक्सर कंफ्यूज रहते हैं कि कहां से हेल्थ इंश्योरेंस करवाया जाए, क्योंकि इनमें भी धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं, आज इस आर्टिकल के जरिये हम आपको कुछ ऐसी जरूरी बातें बताने जा रहे हैं जिनका ख्याल आपको हेल्थ इंश्योरेंस करवाते समय जरूर रखना चाहिए, आइये जानेजाने
ये भी देखा गया है कि अधिकतर कंपनी प्रेगनेंसी पीरियड और फिर बेबी की डिलीवरी को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर नहीं करती है, हो सकता है कि आप जिस कंपनी से क्लेम करवा रहे हैं वहां का एजेंट इसे कवर करने की बात आपसे कह दे और बाद में चीजें बदल जाएं तो ऐसे में स्कीम लेते वक्त इस चीज को जरूर क्लियर कर लें,कई कंपनियां हैं जो ये सेवा प्रदान करती है लेकिन इसका प्रीमियम ज्यादा होता हैं।
डिजिटल युग का एक फायदा है कि आप किसी कंपनी का इतिहास या उसकी सुविधाओं की पूरी जानकारी ऑनलाइन चेक कर सकते हैं, ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस करवाने से पहले देख लें कि जिस कंपनी को आप चुन रहे हैं वह पहले से मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस करती हुई आ रही है या नहीं क्योकि नई कंपनियां अक्सर धोखाधड़ी या फिर चक्कर कटवाने वाले काम करती हैं।
डायबिटीज या बीपी से ग्रसित होने पर हेल्थ क्लेम करीब 3 साल बाद देती है,बीमारियों से ग्रसित होने की सिचुएशन को पीईडी कहा जाता है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है, कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त ये जान लें कि पीईडी को लेकर उसकी शर्ते क्या है और वह कब से क्लेम करने की सर्विस देती हैं।