गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिन तक चलने वाली गणेश चतुर्थी की शुरुआत 2 सितंबर से होगी इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते है। उनका पूजन पूरे विधि विधान से किया जाता है और फिर अंतिम दिन उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है। यदि गणेश जी का ध्यान और पूजा आराधना सच्चे मन से की जाए तो बप्पा अपने भक्तो की पुकार खूब सुनते है और उनके सारे दुःख दर्द दूर कर देते है।

गणेश चतुर्थी पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति खरीदी जाती है। यदि आप भी प्रतिमा अपने घर में लाने की सोच रहे है तो हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो आपको ध्यान में रखनी है।

गणेश जी की मूर्ति हमेशा नए और साफ सुथरे कपड़े में ही लाएं। मूर्ति खरीदते समय ये भी गौर करें कि गणेश जी की सूंड बायीं ओर मुड़ी हुयी हो। ऐसी मूर्ति हमेशा शुभ मानी जाती है और इसका फल भी आपको मिलेगा।

घर में मूर्ति लेकर उसेथाली में स्वास्तिक बनाकर रखें घर में विराजमान करे तो मंगलगान करें, गणेश जी की आरती करें और उन्हें मोदक का भोग लगाए। गणेश जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त जरूर देखें।

इसके बाद कुमकुम से स्वस्तिक बनाये और इसमें हल्दी से 4 बिंदिया बनाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें इस पर छोटा बाजोट , चौकी या पटरा रखें लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं रंगोली ,फूल ,आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाये। इसके साथ ताम्बे के कलश में पानी भर कर रखें।

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