दोस्तो अगर हम बात करें हिंदू धर्म की तो ऐसा कहा जाता हैं कि ये दुनिया का सबसे पुराना धर्म हैं, सनातन धर्म में विवाह को पुरुष और महिला के बीच एक पवित्र और आवश्यक बंधन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विवाह अपने साथ कई सुख और जिम्मेदारियाँ लेकर आता है, जिनमें से एक शारीरिक संबंध है जो न केवल जोड़े के बीच के बंधन को मजबूत करता है बल्कि वंश को भी आगे बढ़ाता है। अगर शास्त्रों की माने तो शादी के बाद ही शारीरिक संबंध बनाने चाहिए।

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सवाल उठता है: क्या विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाना वास्तव में एक बड़ा पाप है?

इस विषय पर पीढ़ियों से बहस होती रही है, और जबकि शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश हो सकते हैं, इतिहास के उदाहरण एक अलग तस्वीर पेश करते हैं।

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हर युग में, ऐसे उदाहरण रहे हैं जहाँ विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाए गए। वेदों के अनुसार, विवाह के बाद ही अपने जीवनसाथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना उचित है। सामाजिक दृष्टिकोण से, विवाह-पूर्व संबंधों को ऐतिहासिक रूप से एक महान पाप माना जाता रहा है।

सहमति की अवधारणा को अक्सर अनदेखा किया जाता था, जिसमें राक्षसों या विजयी राजाओं द्वारा महिलाओं को जबरन ले जाने और उन्हें अपनी पत्नी बनाने की कहानियाँ शामिल थीं।

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विवाह-पूर्व संबंधों का प्रभाव

आधुनिक समय में, समाज अभी भी विवाह-पूर्व संबंधों को नकारात्मक रूप से देखता है, जिसके कारण अक्सर निर्णय और कलंक की स्थिति पैदा होती है। फिर भी, जोड़ों को अपने कार्यों के परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि विवाह-पूर्व संबंध महत्वपूर्ण मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।

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