जटिंगा गाँव: जहाँ हर साल हजारों की संख्या में पक्षी करते हैं आत्महत्या, वैज्ञानिक भी चकित
कानून के अनुसार आत्महत्या एक अपराध है। लेकिन फिर भी हर साल कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं। कहा जाता है कि इंसान भगवान द्वारा बनाए गए जीवों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी है। यही बुद्धिमान प्राणी जब आत्महत्या जैसे कायराना रास्ते को चुनता है तो उसकी बुद्धि पर शक होने लगता है। क्योंकि दुनियाभर में लाखों करोड़ों प्राणियों के बीच इंसान ही एक ऐसा प्राणी है जो आत्महत्या करता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर इंसान नहीं बल्कि पक्षी आत्महत्या करते हैं।
असम के एक छोटे-से पहाड़ी गांव जटिंगा में हर साल अगस्त-अक्तूबर के दरमियान एक विचित्र एवं रहस्यमयी घटना घटती है, जिसने विश्वभर के वैज्ञानिकों को चकित कर रखा है।
असम के बोरैल हिल्स क्षेत्र में स्थित जटिंगा के निवासियों की नींद हर रात एक अजीब आवाज से टूट जाती है। यह मुख्य रूप से जयन्तिया आदिवासियों का गांव है और रहस्यमय है। जटिंगा गांव असम के सबसे शहर गुवाहाटी से करीब 330 किमी दक्षिण में स्थित है। यहां का नजदीकी शहर यहां से करीब 9 किमी दूर हाफलॉन्ग टाउन है।
रात को सैकड़ों पक्षी बिल्डिंग्स और पेड़ों की ओर उड़ते हुए जाते हैं और उनसे टकराकर मर जाते हैं। इस बारे में अब तक कोई वैज्ञानिक तथ्य सामने नहीं आया है। हैरत की बात तो यह है कि ऐसा केवल अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच ही होता है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ प्रवासी पक्षी ही यहां आकर आत्महत्या करते हैं, बल्कि स्थानीय पक्षियों को भी यहां आत्महत्या करते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान हवा का दबाव भी काफी ज्यादा होता है और पूरे इलाके को गहरी धुंध घेर लेती है। एक खास बात यह भी है कि जानकारों के अनुसार ज्यादातर अवयस्क पक्षी ही यहां आत्महत्या करते हैं।
पक्षी विज्ञानियों के अनुसार चिड़ियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति नहीं होती है। एक ब्रिटिश भारतीय पर्यावरण प्रेमी एडवर्ड पिचर्ड गी 1960 के दशक में इस घटना को दुनिया के सामने लाए।