प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है, रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है हिंदू धर्म में जगन्नाथ धाम की बहुत महिमा बताई गई है. जगन्नाथ धाम को धरती पर वैकुंठ भी कहा गया है।


उड़ीसा के समुंद्र किनारे स्थिति पुरी धाम के जगन्नाथ मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण में भी पढ़ने को मिल जाएगा, मान्यता अनुसार इस धाम में भगवान जगन्नाथ रूपी श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र या बलराम के साथ इसी मंदिर में विराजमान हैं, इस धाम में इन तीनों की काष्ठ से निर्मित प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें परंपरा अनुसार प्रत्येक 12 वर्ष में बदल दिया जाता है।


हालांकि हर वर्ष के आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाले जाने का भी विधान है, इस दौरान भगवान अपने रथ पर सवार होकर, सारा नगर भ्रमण करते हैं और भक्तों के बीच आकर उन्हें दर्शन देते हैं। पवित्र स्कन्द पुराण में भी भगवान की इस पावन यात्रा का महत्व बताया गया है,उसके अनुसार जो भी व्यक्ति हर वर्ष निकलने वाली इस जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होकर गुंडिचा नगर तक आता है, उसे अपने सभी पापों से मुक्ति तो मिलती ही हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात भगवान उसे मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद भी देते हैं।

इसके अतिरिक्त वो भक्त जो भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हुए, भगवान के रथ को नगर के दुर्गम रास्तों से होते हुए भ्रमण कराते हैं और रथ खींचते हैं, उन्हें भी भगवान मृत्यु के उपरांत विष्णुधाम प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

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