आज पुरे देश भर में से गणेश चतुर्थी का त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या फिर गणेश महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन चांद को अर्घ्य देकर पूजा शुरू होती है। वहीं उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी के दिन चांद को न देखने की परंपरा है। इस दिन चांद देखना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि चतुर्थी का चांद देखने से कलंक लगता है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश भगवान ने चांद को यह श्राप दिया कि जो भी इस दिन चांद का दीदार करेगा उसे कलंक लगेगा। अगर आपने चांद देखने की गलती कर दी है तो इस दिन भागवत की स्यमंतक मणि की कथा सुने और पाठ करें। या फिर मौली में 21 दूर्वा बांध कर मुकुट बनाएं और उसे गणेश जी को पहनाएं।

गौरतलब है कि गणपति को अपने पिता भगवान से वरदान मिला था कि सभी शुभ कामों में पहला निमंत्रण उन्हें दिया जाएगा। इसी के साथ गणेश जी को प्रथम निवेदन भगवान भी मानते हैं जो भक्तों के कष्ट एक ही पुकार में दूर कर देते हैं।

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