कोरोना के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है। कोई इस वायरस से अपना बचाव नहीं कर पा रहा है और ना ही इसके लिए कोई वैक्सीन या दवा बनी है। बड़े बड़े देशों ने इसके सामने अपने घुटने टेक दिए हैं।

अब तक इस वायरस के फैलने की मुख्य वजह सामने नहीं आई है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख, इंगर एंडरसन का बयान काफी चर्चा में है। उनका कहना है कि प्रकृति हमसे बदला ले रही है और कोरोनावायरस के जरिए हमें संकेत दे रही है कि कई हानिकारक चीजें करके हमें प्रकृति पर दबाव डाला है।


एंडरसन ने कहा, 'हमें पहले कई बार चेतावनी मिली थी कि अगर हम इस पृथ्वी और प्रकृति की देखभाल करने में हम अगर सफल नहीं रहे तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब हम खुद की भी देखभाल नहीं कर पाएंगे।'

मनुष्य वाकई में आग से खेलने का काम कर रहा है और जीवों में कई ऐसी खतरनाक बीमारियां मौजूद हैं जो पूरी मानवजाति को मिटाने की ताकत रखती है। मानव को हमेशा प्रकृति से छेड़छाड़ ना करने के लिए चेताया जाता है लेकिन इसका लोगों पर कोई असर नहीं होता।


एंडरसन ने ब्रिटिश न्यूजपेपर द गार्जियन को बताया, 'इससे पहले कभी भी कोई वायरस इतनी खरतनाक तरह से जानवरों से इंसानों में नहीं फैला था। कटते पेड़ और घटते जंगलों ने हमें जानवरों के और करीब ला दिया है।'

उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति ने हमें कई तरह से संकेत भेजे हैं जिनमे ऑस्ट्रलिया के जंगलों में लगी आग, जरूरत से ज्यादा तापमान, टिड्डी दलों के हमले और अब कोरोना शामिल है।

क्या कोरोना वायरस के जरिए अपना बदला ले रही है प्रकृति?

हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डायरेक्टर हारून बर्नस्टीन ने कहा, कि लोग मानते हैं कि हमारे स्वास्थ्य का पर्यावरण से कोई लेना देना नहीं है लेकिन ये वास्तव में एक दूसरे के पूरक हैं।

वास्तव में जो हमने अब तक प्रकृति के साथ किया और इसे नुकसान पहुंचाया उसकी भरपाई भी प्रकृति करना जानती है। तो आपकी इस बारे में क्या राय है, हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।

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