रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली टिकट की कीमतों पर रियायत अब उपलब्ध नहीं होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण दो साल के लिए रियायत को निलंबित कर दिया गया था। केंद्रीय मंत्री ने पहले लोकसभा में इस कदम के बारे में कहा था। उन्होंने चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में इस बात को दोहराया है।

महामारी से पहले, 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को रेल टिकट पर 40 प्रतिशत की छूट मिलती थी। 58 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 50 फीसदी की छूट मिलती थी। छूट के बारे में बात करते हुए वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेलवे पहले से ही एक रियायती लागत पर टिकट उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों से केवल 45 रुपये प्रति टिकट लिया जाता है और सरकार को परिचालन लागत के लिए प्रति टिकट 100 रुपये का भुगतान करना पड़ता है।

रियायतों के कारण 2,000 करोड़ रुपये का बोझ
रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रेलवे को नागरिकों को दी जाने वाली 53 रियायतों के कारण 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। अकेले वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट कुल रियायतों का लगभग 80 प्रतिशत है। दो साल की अवधि में जब रियायतें हटाई गईं, रेलवे ने अतिरिक्त राजस्व में 1,500 करोड़ रुपये कमाए।

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