दोस्तों, अभी हाल में ही सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट को फैसला सुनाना पड़ा। बावजूद इसके इस मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर आए दिन सियासी घमासान जारी रहता है। इसी क्रम में देश के कई अन्य धार्मिक स्थलों पर भी महिलाओं की एंट्री को लेकर विवाद हो चुके हैं। इनमें हाजी अली दरगाह और ​शिगनापुर में शनि मंदिर आदि का नाम शामिल रह चुका है।

इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि देश के इन मंदिरों में महिलाओं नहीं पुरुषों के आने पर मनाही है।

अट्टुकल मंदिर ( तिरुवनंतपुरम, केरल )
केरल के तिरूवंतपुरम में स्थित अट्टुकल मंदिर में देवी भद्रकाली की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में पोंगल त्यौहार पर सिर्फ महिलाएं ही मां को भोग अर्पित कर सकती हैं। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है कि एक बार पोंगल त्यौहार के समय एक साथ 35 लाख महिलाएं एकत्र हुई थीं।

चक्कुलाथुकावु मंदिर ( नीरात्तुपुरम, केरल )
यह मंदिर भी केरल में ही मौजूद है। हर वर्ष पोंगल त्योहार पर पुरुष पुजारी मंदिर के अंदर नहीं जा सकते हैं तथा पुरुष पुजारी महिलाओं के पैर धोते हैं। मंदिर में महिलाएं ही पोंगल नाकर प्रसाद के रूप में वितरित करती हैं। इस मंदिर को महिलाओं का सबरीमला भी कहा जाता है।

संतोषी माता मंदिर ( जोधपुर, राजस्थान )
राजस्थान के जोधपुर में संतोषी माता में शुक्रवार के दिन पुरुषों को जाने की मनाही है। शुक्रवार के दिन महिलाएं ही इस मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं।

ब्रह्मा जी का मंदिर ( पुष्कर, राजस्थान )
पूरे भारत में ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर पुष्कर में मौजूद है। इस मंदिर में किसी भी शादीशुदा पुरूष को आने की मनाही होती है। इस मंदिर में पुरुष केवल मंदिर के आंगन तक जाते हैं और अंदर जाकर पूजा सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। मान्यता है कि पुरुष अगर इस मंदिर के गर्भगृह में जाएंगे तो उनके जीवन में दुख आ जाएगा।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ का आयोजन किया था। लेकिन उस यज्ञ में मां सरस्वती को पहुंचने में देर हो गई। इसलिए ब्रह्मा ने देवी गायत्री से शादी कर यज्ञ पूरा कर लिया। ऐसा देखकर मां सरस्वती ने श्राप दे दिया कि कोई भी शादीशुदा पुरुष ब्रह्मा जी के मंदिर में नहीं जाएगा।

भगवती देवी मंदिर ( कन्याकुमारी, तमिलनाडु )
तमिलनाडु के कन्याकुमारी में मां भगवती के इस मंदिर में केवल महिलाओं तथा किन्नरों को पूजा करने की आजादी है। इस मंदिर में सन्यासी पुरुष मंदिर के गेट तक तो जा सकते हैं, लेकिन उसके आगे जाना उनके लिए भी मना है।

कामरूप कामाख्या मंदिर ( गुवाहाटी, असम )
असम के कामख्या मां के मंदिर में माहवारी उत्सव के दौरान पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। इस मंदिर में माता सती के माहवारी का कपड़ा बहुत शुभ माना जाता है।

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