अक्सर आपने अपने आसपास देखा होगा कि कई बार लोग अपने दोस्तों, प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े लोगों या फिर परिवार के किसी सदस्य को हर्ट कर देते हैं, लेकिन कई बार माफी मांगने पर भी गिल्ट यानी अपराध बोध से घिरे रहते हैं

बता दे की हम सभी गलतियां करते हैं और उन गलतियों से सीखते भी हैं और वास्तव में इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है,ऐसे में अगर आपसे गलती हुई है तो आप बिना किसी झिझक के माफी मांग सकते है,ये ठीक भी है ,लेकिन बिना गलती के माफी मांगना या अपराध बोध में रहना, ये हमारी लाइफस्टाइल के लिए ठीक नहीं है

आज इस लेख के जरिये हम आपको बताएंगे की सही और गलत में कैसे अंतर करे और साथ-साथ उसके अनुसार व्यवहार कैसा होना चाहिए ,आइये जाने

मान लीजिए कि अगर आप किसी के साथ बाहर जाने में, कहीं बैठने में या फिर किसी विषय पर चर्चा के दौरान असहज महसूस कर रहे हैं, आप अपनी बात कहने से झिझके नहीं,आप ये ख्याल ना लाएं कि सामने वाला बुरा मान जाएगा बल्कि आप अपनी बात को सहजता से उनके सामने रखें


अगर फोन या ऑनलाइन मीटिंग के दौरान हमें सामने वाले की आवाज साफ नहीं सुनाई दे रही है, तो हम में से कई लोग उससे अपना बात को दोहराने के लिए कहने से पहले सॉरी जरूर कहते हैं, लेकिन वास्तव में हमें ऐसा कहने की बिल्कुल जरूरत नहीं होना चाहिए, हम बिना माफी मांगे उनसे अपनी बात को दोबारा दोहराने के लिए आग्रह कर सकते हैं।


किसी मीटिंग या पार्टी के दौरान अगर आपको कभी जल्दी जाना पड़े तो अक्सर लोग माफी मांगते हुए जाने के बारे में बताते हैं, लेकिन ऐसा करना बिल्कुल जरूरी नहीं हैबल्कि आप सिर्फ अपने जाने की सूचना दे सकते हैं।
अगर आपके दोस्त, करीबी या सहकर्मी किसी बात को लेकर आपकी आलोचना करते हैं तो आप उस स्थिती का सामना करें, आप उनके सामने अपमानित या किसी तरह की ग्लानि महसूस न करें,ऐसे बिल्कुल भी झुककर ना बैठें कि जैसे आपने कोई गुनाह किया हो,आप उनकी बातों को सुनें और उनके सामने अपनी बात को भी स्पष्टता से रखें

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