अगर आपको भी है पैर हिलाने की आदत, तो ज़रूर पढ़ें ये खबर
चेयर पर बैठे रहने पर या लेटे-लेटे भी आपको पैर हिलाने की आदत है, तो अब आपको सतर्क होने की ज़रूरत है, क्योंकि पैर हिलान की ये आदत सेहत के लिए अच्छी नहीं है.
कई लोग घबराहट के कारण या फिर मस्ती में भी पैर हिलाते हैं, लेकिन आप यदि हमेशा ही बैठे या लेटे हुए पैर हिलाते हैं तो संभल जाइए क्योंकि ये कई तरह की बीमारियों का संकेत देते है.
पैर हिलाने की आदत रेस्टलेस सिंड्रोम नामक बीमारी का भी संकेत हो सकता है.
क्या होता है रेस्टलेस सिंड्रोम
यह बीमारी आयरन की कमी के कारण होती है. ज्यादातर 35 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह बीमारी पाई जाती है लेकिन आजकल पैर हिलाने की आदत तो आजकल इससे कम उम्र के लोगों में भी होती है. नर्वस सिस्टम से जुड़े इस रोग में डोपामाइन हार्मोन श्रावित होने के कारण ऐसा बार-बार करने का मन करता है. इस समस्या को स्लीप डिसऑर्डर भी कहा जाता है. नींद पूरी न होने पर इंसान थका हुआ महसूस करता है. इसके लक्षण दिखने पर आपको तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए.
रोग का कारण
यह रोग ज्यादातर आयरन की कमी और नींद पूरी न होने के कारण होता है. इसके अलावा यह रोग किडनी, पार्किंसंस से पीडि़त मरीजों, शुगर, बीपी, हृदय और महिलाओं में डिलीवरी के आखिरी दिनों में हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकता हैं.
इलाज है संभव?
यह बीमारी ज्यादातर नींद पूरी न होने और आयरन की कमी के कारण होती है. इसलिए इस बीमारी में आयरन और अन्य दवाएं दी जाती है, जिसे सोने से दो घंटे पहले लेना होता है. यह दवाएं नींद की बीमारी को दूर करके स्थिति को सामान्य करती है.
घरेलू नुस्खें
दवाओं के अलावा इस बीमारी को दूर करने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खें भी कर सकते हैं. अपनी डाइट में आयरनयुक्त चीजें जैसे पालक, सरसों का साग, चुकंदर, केला आदि लें. इसके अलावा रोजाना व्यायाम, हॉट एंड कोल्ड बाथ और वाइब्रेटिंग पैड पर पैर रखने से इस परेशानी से छुटकारा मिलता है.
इन चीजों से रहें दूर
रात को भोजन के बाद चाय-कॉफी लेने से बचें. इसके अलावा सोने से पहले टीवी, स्मार्टफोन, गैजेट्स और लैपटॉप का इस्तेमाल न करें. रात में हल्का खाना लें ताकि नींद अच्छी आए। इसके अलावा शराब और स्मोकिंग से भी दूरी बनाएं.
एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में करीब दस प्रतिशत लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती हैं लेकिन ज्यादातर नौजवानों में ये देखने को मिलता है. अधिकांशतः 35 की उम्र के बात ये बीमारी ज़्यादा होती है.