हम भारतवासी चाट-पकौड़े की दुकान पर खड़े होकर बड़े शान से समोसा मांगते हैं। आज की तारीख में समोसा हमारे देश का पसंदीदा स्नैक्स बना हुआ है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि समोसा तो कभी भारत का था ही नहीं! अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर समोसा किस देश का है और यहां कैसे आया?

बताया जाता है कि 10वीं सदी में जब मध्य पूर्व देश विकसित हो रहे थे, उस समय समोसे की खोज की गई। हांलाकि समोसे को कब और किसने बनाया इसका सटीक प्रमाण ​नहीं मिलता है, लेकिन इसकी खोज ईरान के किसी इलाके से की गई।

बता दें कि 10वीं सदी में मध्य पूर्व देशों के लोग काफी दूर-दूर तक सफर किया करते थे, इसलिए लोग अपने साथ खाने की चीजें साथ में रखा करते थे। उन दिनों समोसा बड़ी काम की चीज हुआ करता था। यात्री रात में आग जलाकर एक जगह बैठते थे और समोसे को आग के सहारे पकाते थे। समोसे ने लंबी दूरियां तय करने में यात्रियों की खूब मदद की। इस बात ​का जिक्र कई फारसी किताबों में भी मिलता है।

उन फारसी किताबों के मुताबिक, समोसे का नाम संबोसग था, लेकिन आकार बिल्कुल आज की तरह ही था। उन दिनों जो भी संबोसग खाता था, वह इसका दीवाना हो जाता था। संबोसग को मध्य पूर्व के रेगिस्तान से निकलकर अफ्रीका और एशिया तक पहुंचने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा। जिन दिनों यह समोसा भारत दिनों दिल्ली पर मुस्लिम शासक मुहम्मद बिन तुग़लक़ का राज था। मुहम्मद बिन तुगलक के खानसामे में कई देशों के बावर्ची मौजूद थे।

माना जाता है कि यहीं हमारे देश में समोसे की शुरूआत हुई। मुहम्मद बिन तुग़लक़ को समोसे बहुत पसंद थे। वक्त के साथ समोसे में बदलाव आया। हम बता दें कि पहले समोसा मीट, घी और प्याज का इस्तेमाल करके बनाया जाता था। लेकिन अब आलू से बनाया जाता है फिर भी स्वाद में लाजवाब। अमीर खुसरो ने भी मुगलकाल में समोसे के बारे में लिखा है। जिसके मुताबिक उन दिनों केवल अमीरों की शान था समोसा, शुक्र है आज यह हर किसी को नसीब होता है।

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