OMG यहां एक मुस्लिम महिला को मानते हैं देवी, विदेशों से भी आते हैं लोग पूजा करने
भारत विविधताओं से भरा देश है और यहां की संस्कृति ऐसी है जिसमें सभी के लिए समान स्थान है। यहां पुरुषों को देवता और महिलाओं को देवी के रूप में माना जाता है। इसमें किसी प्रकार के भेद-भाव की बात नहीं है। इसकी एक मिसाल गुजरात में मिलती है।
गुजरात के गांधीनगर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर झुलासन गांव है। इस गांव में माता का एक मंदिर जिसे डोला माता का मंदिर कहते है। माता के इस रूप का जिक्र किसी किसी धर्मग्रंथ में नहीं है लेकिन यहां के लोगों में इस देवी के प्रति गहरी आस्था है। और सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर में स्थित देवी के बारे में कहा जाता है कि डोला माता एक मुस्लिम महिला थीं। आइए जानें कि एक मुस्लिम महिला कैसे बनीं देवी और कैसे बना इनका मंदिर।
मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि कुछ 850 साल पहले लुटेरों का बड़ा आतंक था। लुटेरे अक्सर आकर यहां लूटपाट किया करते थे। एक बार पड़ोस के गांव की एक मुस्लिक महिला इस गांव से होकर गुजर रही थी। उसे पता चाल कि लुटरे गांव में तबाही मचा रहे हैं। उस महिला ने लुटेरों को ललकारा और उनसे साथ युद्ध करते हुए प्राण त्याग दिए। जहां पर उस महिला ने प्राण त्यागे थे उस स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई और बाद में वहां मंदिर का निर्माण किया गया।
मंदिर भव्य होने के साथ-साथ काफी सुंदर भी है। लेकिन यहां कोई देवी की मूर्ति नहीं है, यहां केवल रंगीन कपड़े में ढंका हुआ पत्थर है। जिसकी पूजा गांववाले करते हैं। मंदिर के बारे में बताया जाता है डोला माता आज भी पूरे गांव की रक्षा करती हैं और सभी की इच्छाओं को पूरी करती हैं।
हर दिन डोला माता की पूजा की होती है लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां की रौनक देखने लायक होती है। नवरात्र में दूर-दराज से लोग माता के दर्शन करने आते हैं। नवारात्रि के दौरान यहां मेला भी लगता है, गांव में चहल-पहल रहती है।
इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है और एक भी ऐसा परिवार नहीं जिसका कोई ना कोई सदस्य विदेश में ना रहता हो। जो लोग विदेश में रहना चाहते हैं वो अपनी मुरादें लेकर मां के पास आते हैं और माता उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। 7-8 हजार वाले इस गांव में 2500 लोग विदेश में रहते हैं। इसलिए इनको डॉलर माता मंदिर भी कहा जाता है।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इसी गांव की हैं, अंतरिक्ष यात्रा के बाद वह अपने पिता के साथ डोला माता के दर्शन करने आई थीं।