किन्नर भारत की पहली ऐसी समुदाय है जिन्हें थर्ड जेंडर का सम्मान प्राप्त हुआ है और यह सभ्यता कई सालों से उपमहाद्वीप का हिस्सा रहा है,4000 साल से भी पुराना इतिहास है हमारे देश में किन्नरों का लेकिन इसके बावजूद इन्हें नजर अंदाज किया जाता रहा है।

भारत में थर्ड जेंडर ना केवल किन्नरों को माना जाता है बल्कि अन्य ट्रांस्जेंडर सभ्यताओ को भी भारतीय कानून के तहत इसका हिस्सा माना गया है, लेकिन अन्य एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश और पकिस्तान में केवल किन्नरों को ही थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है। कोई भी समुदाय जब गंभीर कानूनी नुकसान या यौन संबंधो का शिकार होता है तब वह उस देश में इस लायक होता है कि उस समुदाय को एक कानूनन तौर पर सभ्यता का रूप दिया जाए।

लेकिन अब सवाल ये उठता है कि किन्नर समुदाय का वजूद कैसे हुआ किन्नर समुदाय का उल्लेख प्राचीन साहित्य में किया गया है, जिनमें से सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कामासूत्र।

किन्नरों की महाभारत और रामायण पात्रों सहित हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में महत्वपूर्ण भूमिकाए हैं। कहा जाता है कि हिंदू देवता भगवान शिव ने एक बार अपनी पत्नी पार्वती के साथ मिलकर विलय किया था जिसके बाद उनके नए अवतार का जन्म हुआ जिसका नाम अर्धानारी रखा गया, इस रूप का किन्नर समुदाय में एक विशेष महत्व है, और माना जाता है कि यही से किन्नर समुदाय का जन्म भी हुआ, किन्नरो का वजूद शुरू हुआ।

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