नीलगिरी का तेल कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक कर सकता है। नीलगिरी के तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह एक अच्छे एंटी-सेप्टिक के रूप में भी काम करता है। इसके सेवन से कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। चूंकि यह तेल एंटी-बैक्टीरियल होता है, इसलिए यह दांतों और मसूड़ों के बीच के संक्रमण को खत्म करता है। नीलगिरी के तेल का उपयोग सभी टूथपेस्ट और माउथवॉश में किया जाता है।


खास बात यह है कि यह यूकेलिप्टस का तेल आपकी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। अगर आप इसे रोजाना लगाएंगी तो नीलगिरी का तेल आपकी त्वचा को सुंदर और चमकदार बना देगा। नीलगिरी के तेल का फेस पैक हफ्ते में तीन से चार बार चेहरे पर लगाना चाहिए। इस फेस पैक के लिए दही, बेसन और नीलगिरी के तेल की आवश्यकता होगी। इस फेस पैक के लिए बेसन, दही और नीलगिरी के तेल को मिलाकर एक अच्छा पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को अपने पूरे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें।



आप इस फेस पैक को हफ्ते में तीन से चार बार लगाएं। यूकेलिप्टस के तेल को छाती पर लगाने से भारीपन की समस्या दूर हो जाती है। इससे शरीर को ऑक्सीजन बेहतर तरीके से मिल सकेगी। अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण यह फेफड़ों में सूजन और संक्रमण को दूर करने में भी मदद करता है। इस तेल को 'बुखार तेल' भी कहा जाता है। बुखार होने पर हाथ-पैर के तलवों और माथे पर नीलगिरी का तेल लगाएं और शरीर को चादर से ढक दें।

थोड़ी देर बाद आपको पसीना आने लगेगा और बुखार उतर जाएगा। नीलगिरी का तेल साइनस, सर्दी, फ्लू, गले में खराश, अस्थमा और वायरल संक्रमण से राहत देता है। ऐसी समस्याओं से राहत पाने के लिए इसकी कुछ बूंदों को गर्म पानी में डालकर भाप लें। अपने एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण यह तेल त्वचा के संक्रमण को कम करने में भी मदद करता है। इससे त्वचा मुलायम और दाग-धब्बों से मुक्त होती है। इस तेल को सीधे उस क्षेत्र पर लगाया जा सकता है जहां संक्रमण होता है। लेकिन, तेल लगाते समय त्वचा को ज्यादा न रगड़ें।

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