डायबिटीज आज के वैश्विक बीमारी बनी हुई हैं, जिससे आज दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति ग्रस्त हैं, डायबिटीज ने ना केवल बुजुर्गों को बल्कि युवाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा हैं। एक बार किसी को डायबिटीज हो जाएं तो यह जीवनभर रहती हैं, बस आप इसको प्रबंधित कर सकते हैं। डायबिटीज के कारण रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। यह अतिरिक्त शर्करा मुख्य रूप से हमारे द्वारा खाए जाने वाले मीठे खाद्य पदार्थों से आती है, जो पचने पर हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। यह प्रक्रिया इंसुलिन नामक हार्मोन पर बहुत अधिक निर्भर करती है। जब इंसुलिन का स्तर गिर जाता है या अपर्याप्त होता है, तो शरीर शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित करने में विफल हो जाता है, जिसके कारण शरीर खराब होने लगता है। ऐसे में हमे इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए, आइए जानते हैं इनके बारे में-

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रक्त शर्करा परीक्षण के प्रकार

केवल लक्षणों के आधार पर मधुमेह का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए, रक्त परीक्षण आवश्यक हैं।

उपवास रक्त शर्करा परीक्षण: रात भर उपवास के बाद रक्त का नमूना लिया जाता है।

ग्लूकोज सहनशीलता परीक्षण: मीठा पेय पीने के एक से दो घंटे बाद रक्त के नमूने लिए जाते हैं।

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट: यह किसी भी समय किया जा सकता है, चाहे आप कितना भी खाना खाएँ।

HbA1c टेस्ट (या A1C टेस्ट), जिसे अक्सर मेटाबॉलिक मेमोरी टेस्ट के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पिछले तीन महीनों में औसत रक्त शर्करा के स्तर को मापता है। 6.4% से अधिक का परिणाम मधुमेह का संकेत देता है।

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सामान्य रक्त शर्करा स्तर

परिणाम HbA1c खाने के बाद उपवास रक्त शर्करा

मधुमेह > 6.5% ≥ 126 mg/dL ≥ 200 mg/dL

प्री-डायबिटीज़ 5.7 - 6.4% 100 - 125 mg/dL 140 - 199 mg/dL

सामान्य < 5.7% < 99 mg/dL < 140 mg/dL

प्री-डायबिटीज़ बनाम मधुमेह

100 mg/dL के आसपास उपवास रक्त शर्करा का स्तर सामान्य है। 120 mg/dL के आसपास का स्तर प्री-डायबिटीज़ को इंगित करता है, जिससे जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। यदि उपवास रक्त शर्करा लगातार 125 mg/dL से अधिक है, तो मधुमेह का निदान किया जाता है, खासकर यदि HbA1c भी 6.4% से अधिक है।

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मधुमेह का प्रबंधन

नियमित व्यायाम: दैनिक शारीरिक गतिविधि का लक्ष्य रखें।

तनाव प्रबंधन: तनाव के स्तर को नियंत्रित रखें।

आहार परिवर्तन:

तले हुए खाद्य पदार्थों, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और मीठे स्नैक्स से परहेज करें।

अधिक हरी सब्जियाँ और मौसमी फल शामिल करें।

करेला, आंवला, जामुन और पत्तेदार साग जैसे कड़वे खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएँ।

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