अगर हम आज के युवाओं की बात करें तो यह अपना भविष्य सवारने में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि अपने वर्तमान पर ध्यान नहीं देते हैं, अगर हम हाल ही की रिपोर्ट्स की बात करें तो पिछले एक दशक से भारत में हृदय रोग की समस्या बढ़ रही है? इस खतरनाक प्रवृत्ति का मुख्य कारण भारतीयों में पाया जाने वाला उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर है।

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शोध में पाया हैं गया हैं इसके बढ़ने का कारण ना तो खराब खान पान हैं और ना ही लाइफस्टाइल बल्कि ल आनुवंशिक प्रवृत्ति है, विशेष रूप से एक ऐसी स्थिति जिसे 'पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया' के रूप में जाना जाता है। यह आनुवंशिक विकार कम उम्र से ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे हृदय रोग की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।

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लिपोप्रोटीन की यह उच्च सांद्रता हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के बढ़े हुए आनुवंशिक जोखिम को इंगित करती है, जो विशेष रूप से गोवा और केरल जैसे क्षेत्रों में प्रचलित है। भारत में लिपिड प्रोफाइल पर हाल ही में जारी रिपोर्ट इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करती है, जिसमें खुलासा किया गया है कि 81% भारतीयों में खराब लिपिड प्रोफाइल है।

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अध्ययन में भारतीयों में समय से पहले हृदय रोग की एक चिंताजनक प्रवृत्ति का उल्लेख किया गया है। भारत में, तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम के 20% मामले 45 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों में होते हैं, जो लिपिड प्रोफाइल और हृदय स्वास्थ्य पर आनुवंशिक कारकों के गहन प्रभाव को उजागर करता है।

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