By Santosh Jangid- आज के युवाओं का खान पान इतना खराब हो गया हैं कि ये पेट की समस्याओं से ग्रसित रहते हैं, अगर हम बात करें आकड़ों कि 70 प्रतिशत युवा पेट फूलने और गैस बनने की बीमारी से ग्रसित हैं, गैस मुख्य रूप से हमारे आंतों के मार्ग में बैक्टीरिया द्वारा बनाई जाती है। ये बैक्टीरिया हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन, विशेष रूप से शर्करा, स्टार्च और सेल्यूलोज को पचाने में मदद करते हैं, जब शर्करा पर्याप्त रूप से टूट नहीं पाती है, तो वे किण्वित हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप छोटी आंत से गुजरते समय गैस बनती है। छोटी आंत के संकुचन फिर इस गैस को बड़ी आंत में धकेल देते हैं, जिससे सूजन और पेट फूलना हो सकता है। अगर आप भी गैस से परेशान हैं तो इन घरेलू उपायों को अपनाएं-

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आम गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ: बीन्स, ब्रोकोली, गोभी, शतावरी, कॉफी, अंडे, मछली, मूली, खजूर, अंजीर और कृत्रिम मिठास सहित कुछ खाद्य पदार्थ गैस उत्पादन में महत्वपूर्ण रूप से योगदान कर सकते हैं।

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वसायुक्त खाद्य पदार्थों का प्रभाव: उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ पाचन को धीमा कर सकते हैं, जिससे गैस का निर्माण बढ़ सकता है। इन खाद्य पदार्थों को सीमित करने से असुविधा को कम करने में मदद मिल सकती है।

लैक्टोज असहिष्णुता: यदि आपको संदेह है कि आपको लैक्टोज असहिष्णुता है, तो दूध और डेयरी उत्पादों से बचना उचित है, क्योंकि वे गैस को बढ़ा सकते हैं।

पाचन सहायक: कार्बोहाइड्रेट पाचन में सुधार और संभावित रूप से गैस को कम करने के लिए भोजन से पहले पाचन एंजाइम या पाउडर लेने पर विचार करें।

प्राकृतिक उपचार: पेट फूलने से राहत के लिए अक्सर अदरक का रस या गर्म अदरक का पानी पीने की सलाह दी जाती है।

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पेट फूलने के लिए जड़ी-बूटियाँ: जीरा और सौंफ़ पारंपरिक जड़ी-बूटियाँ हैं जो पेट फूलने और आंतों की गैस को कम करने में मदद करने के लिए जानी जाती हैं।

कब्ज के लिए त्रिफला: यदि आपको अत्यधिक पेट फूलने के साथ-साथ कब्ज की समस्या हो रही है, तो सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लेने से राहत मिल सकती है।

घी और हींग: रात में गुनगुने पानी में आधा चम्मच घी और एक चुटकी हींग मिलाकर पीने से पाचन में मदद मिलती है और गैस कम होती है।

आयुर्वेदिक उपचार: पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नित्य विरेचन या बस्ती, विशेष रूप से दशमूल निरुवस्ती जैसी आयुर्वेदिक प्रथाओं पर विचार करें।

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